देश की खबरें | न्यायालय का अमिश देवगन के खिलाफ प्राथमिकियां खारिज करने से इनकार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने 15 जून के एक कार्यक्रम में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में टीवी समाचार प्रस्तोता अमिश देवगन के विरूद्ध दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
नयी दिल्ली, सात दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने 15 जून के एक कार्यक्रम में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में टीवी समाचार प्रस्तोता अमिश देवगन के विरूद्ध दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि देवगन जांच में सहयोग करना जारी रखते हैं, तो उन्हें हर प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई से संरक्षण दिया जाएगा।
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न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना समेत विभिन्न राज्यों में देवगन के खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकियों को राजस्थान के अजमेर में स्थानांतरित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि पीठ ने देवगन को प्राथमिकी के संबंध में किसी कठोर कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया था। इसके बाद से न्यायालय पत्रकार को किसी भी कठोर कार्रवाई से संरक्षण की अवधि बढ़ाता आ रहा है।
एक समाचार चैनल पर ‘आर पार’ नामक शो में 15 जून को सूफी संत के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने के मामले में देवगन के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में कई प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं।
हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट करके खेद जताया था और कहा था कि वह दरअसल मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का जिक्र कर रहे थे और गलती से चिश्ती का नाम बोल गये।
देवगन ने प्राथमिकियां दर्ज करने के अनुरोध को लेकर वकील मृणाल भारती के माध्यम से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कहा था कि उनकी जुबान फिसल गयी थी और वह इसके लिए पहले ही खेद प्रकट कर चुके हैं।
देवगन ने शीर्ष अदालत से कहा, ‘‘किसी भी प्राथमिकी में यह नहीं कहा गया कि सार्वजनिक व्यवस्था खराब हो रही है।’’
वहीं, राजस्थान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि जांच करना पुलिस का अधिकार है।
शीर्ष अदालत ने देवगन को अंतरिम राहत देते हुए प्रसारण से संबंधित मामलों में पत्रकार के खिलाफ जांच पर भी रोक लगा दी थी।
याचिका में कहा गया कि टीवी कार्यक्रम में परिचर्चा के दौरान एक पैनल सदस्य ने चिश्ती (ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती) को उद्धृत कर दिया और गलती से देवगन ने भी चिश्ती नाम का जिक्र कर दिया, जबकि वह खिलजी (अलाउद्दीन खिलजी) का जिक्र करना चाहते थे। जुबान फिसल जाने को फौरन ही महसूस करते हुए याचिकाकर्ता ने स्पष्टीकरण दिया और स्पष्ट किया कि चिश्ती का जिक्र गलती से और अनजाने में हो गया।
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