नयी दिल्ली, 30 अगस्त उच्चतम न्यायालय रियल्टी प्रमुख सुपरटेक लिमिटेड की उस याचिका पर मंगलवार को अपना फैसला सुना सकता है जिसमें नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना में 40 मंजिला दो टावरों को भवन मानदंडों का उल्लंघन करने पर ध्वस्त करने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है।
उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल, 2014 के फैसले के पक्ष और विपक्ष में घर खरीदारों की कई अन्य याचिकाओं पर भी अपना फैसला सुनाएगा।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी।
उच्चतम न्यायालय ने चार अगस्त को इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के घर खरीदारों को स्वीकृत योजना मुहैया कराने में विफल रहने पर नोएडा प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा था, ‘‘आप (प्राधिकरण) चारों तरफ से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।’’
पीठ ने कहा था कि जब घर खरीदारों ने योजना सौंपने के लिए कहा तो प्राधिकरण ने डेवलपर से पूछा क्या इसे साझा करना चाहिए। डेवलपर के कहने पर उन्हें योजना सौंपने से इनकार कर दिया गया।
रियल्टी फर्म सुपरटेक लिमिटेड ने इन टावरों के निर्माण का बचाव किया था और दावा किया था कि यह अवैध कार्य नहीं है।
उसने कहा था कि सुपरटेक ने दो कारणों से उच्च न्यायालय के समक्ष मामले को गंवा दिया था एक तो दूरी मानदंड और दूसरा उन टावरों के निर्माण से पहले घर खरीदारों की सहमति नहीं लेना। उसने कहा था कि एमराल्ड कोर्ट ओनर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, जिसने इन टावरों के निर्माण को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष मामला दायर किया है, उस समय अस्तित्व में नहीं थी, जब योजना को मंजूरी दी गई थी और निर्माण शुरू हो गया था।
सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दो टावरों एपेक्स और सेयेन में कुल मिलाकर 915 अपार्टमेंट और 21 दुकानें हैं। इनमें से शुरू में 633 फ्लैट बुक किए गए थे।
उच्चतम न्यायालय सुपरटेक लिमिटेड की अपील और मकान खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। ये अपील और याचिकाएं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल, 2014 के आदेश के पक्ष और उसके खिलाफ दायर की गयी हैं। उच्च न्यायालय ने नियमों का उल्लंघन करने के लिए दोनों टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था।
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