नयी दिल्ली, नौ जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को तेलुगु अभिनेता मोहन बाबू को अंतरिम राहत प्रदान की और तेलंगाना पुलिस को निर्देश दिया कि वह एक पत्रकार पर कथित हमले के मामले में उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने 23 दिसंबर 2024 के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बाबू की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय के आदेश में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
पीठ ने पुलिस से जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की।
अभिनेता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनका अपने बेटे के साथ विवाद हो गया था, जो मीडियाकर्मियों के साथ उनके घर में घुस आया था।
रोहतगी ने कहा कि अभिनेता ने आवेश में आकर पत्रकार पर माइक फेंक दिया और वह सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और जरूरत पड़ने पर अपने कृत्य के लिए क्षतिपूर्ति करने को भी तैयार हैं।
पीठ ने पत्रकार के वकील से कहा कि वह अपने मुवक्किल से पूछें कि क्या वह मुआवजा चाहता है।
पत्रकार (35) द्वारा 12 दिसंबर, 2024 को अभिनेता के खिलाफ दायर मामले में हत्या के प्रयास का आरोप भी जोड़ा गया।
पत्रकार ने आरोप लगाया है कि अभिनेता और उनके छोटे बेटे मनोज के बीच चल रहे विवाद के बारे में जानकारी के लिए 10 दिसंबर 2024 को अभिनेता के जलपल्ली स्थित घर के दौरे के दौरान बाबू उनके और अन्य पत्रकारों के प्रति आक्रामक थे।
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