देश की खबरें | न्यायालय ने धनशोधन मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर सिंह को दी गयी जमानत पर रोक लगाई
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, एक अगस्त उच्चतम न्यायालय ने रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) में धन की कथित हेरफेर से जुड़े धनशोधन के एक मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह को दी गयी जमानत पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने सिंह को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अर्जी पर शुक्रवार को इस संबंध में निर्देश जारी किया था।

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ईडी की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने एजेंसी द्वारा उठाये गये विषयों पर विचार नहीं किया। इसके बाद शीर्ष अदालत का आदेश आया।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अगले आदेश तक जेल से रिहाई के संबंध में यथास्थिति बनाकर रखी जाए और (उच्च न्यायालय के) फैसले को किसी अन्य मामले के लिए मिसाल की तरह नहीं लिया जाए। अगर कोई जवाब देना है तो इस बीच दाखिल किया जाए।’’

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उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को सिंह को जमानत दी थी। अदालत ने कहा था कि उसे सिंह के रिहा होने से समाज के हितों और व्यापक रूप से जनता को कोई गंभीर खतरा नजर नहीं आता।

ईडी के विशेष सरकारी अभियोजक नीतेश राणा ने उच्च न्यायालय के समक्ष जो मुख्य आधार रखे, उनमें एक यह है कि सिंह ने हिरासत में रहते हुए चोरी-छिपे मोबाइल फोन मंगाकर उसका इस्तेमाल किया।

निचली अदालत ने मामले में सिंह को जमानत देने से इनकार किया था जिसके बाद उन्होंने अदालत का रुख किया था।

प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें धनशोधन मामले में पिछले साल 12 दिसंबर को गिरफ्तार किया था और दिल्ली पुलिस के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने उन्हें धोखाधड़ी के मामले में पिछले साल 10 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उन्हें ईओडब्ल्यू के मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है।

ईडी ने आरएफएल में धन के कथित गबन से जुड़े धनशोधन के मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तकों मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह के खिलाफ जनवरी में आरोपपत्र दाखिल किया था।

आरएफएल रेलीगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड का एक समूह है।

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