
चेन्नई, 25 अप्रैल मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह स्कूलों में शारीरिक दंड समाप्त करने के लिए ‘एनसीपीसीआर’ के दिशानिर्देश (जीईसीपी) को लागू करे।
न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने कामाची शंकर अरुमुगम द्वारा दायर एक याचिका पर हाल ही में अंतरिम आदेश पारित करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को यह निर्देश दिया। याचिका में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के दिशानिर्देश को लागू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
न्यायाधीश ने कहा कि तमिलनाडु के सभी शैक्षणिक संस्थानों और जिला शिक्षा अधिकारियों को दिशानिर्देश के बारे में बताने की व्यवस्था दी गई थी, ताकि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए दिशानिर्देशों को ठीक से लागू किया जा सके।
अदालत ने कहा कि इस संबंध में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के संबंध में सेमिनार व जागरूकता शिविर आयोजित करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने का आदेश दिया गया है, ताकि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
अदालत ने कहा कि विचार न केवल स्कूलों में शारीरिक दंड को खत्म करने के लिए था, बल्कि बच्चों के उत्पीड़न के किसी भी अप्रत्यक्ष रूप या उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली परिस्थिति पर भी ध्यान दिया जाना भी इसमें शामिल था।
न्यायाधीश ने रजिस्ट्री को मामले को 14 जून को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
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