नयी दिल्ली, 26 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार और उसके मेट्रो रेल निगम से नागपुर की प्रसिद्ध फुटाला झील पर कोई भी निर्माण गतिविधि नहीं करने को कहा है।
भोंसले राजाओं द्वारा 60 एकड़ भूमि पर बनाई गई यह झील महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण जलाशयों में से एक है।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण की दलीलों पर गौर किया कि जलाशय को बचाने के लिए फुटाला झील पर चल रही निर्माण गतिविधियों पर यथास्थिति का आदेश आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि झील पर कंक्रीट के ढांचे खड़े कर दिए गए हैं।
यह देखते हुए कि ‘‘देश में वैसे भी बहुत कम आर्द्रभूमि बची हैं’’, पीठ ने अधिकारियों से फिलहाल निर्माण गतिविधियों को जारी रखने से परहेज करने को कहा और जानना चाहा कि वे झील से दर्शक दीर्घा सहित अन्य कंक्रीट ढांचों को कब हटाएंगे।
शंकरनारायण ने कहा कि पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा झील को आर्द्रभूमि घोषित करने के बावजूद सौंदर्यीकरण के नाम पर जारी निर्माण गतिविधियों के लिए झील में 7,000 टन से अधिक कंक्रीट का उपयोग किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि झील के किनारे 16,000 वर्ग फुट भूमि को दर्शक दीर्घा में परिवर्तित किया जा रहा है।
पीठ गैर-सरकारी संगठन ‘स्वच्छ नागपुर अभियान’ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में कहा गया है कि फुटाला झील एक आर्द्रभूमि है और बड़े पैमाने पर निर्माण से वहां का पारिस्थितिकी तंत्र और जलीय जीवन नष्ट हो सकता है।
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