जरुरी जानकारी | देश का निर्यात जुलाई में 2.14 प्रतिशत बढ़कर 36.27 अरब डॉलर, व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर

नयी दिल्ली, 12 अगस्त देश का निर्यात जुलाई में 2.14 प्रतिशत बढ़कर 36.27 अरब डॉलर हो गया। वहीं कच्चे तेल की कीमतों में 70 प्रतिशत की वृद्धि के कारण व्यापार घाटा इसी महीने में लगभग तीन गुना होकर 30 अरब डॉलर पहुंच गया।

जुलाई 2021 में व्यापार घाटा 10.63 अरब डॉलर था।

शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई महीने में आयात सालाना आधार पर 43.61 प्रतिशत बढ़कर 66.27 अरब डॉलर हो गया।

इस महीने की शुरूआत में जारी प्रारंभिक आंकड़ों में जुलाई के दौरान निर्यात 0.76 प्रतिशत घटकर 35.24 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया था। जुलाई 2021 में यह 35.51 अरब डॉलर था।

वहीं, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान निर्यात 20.13 प्रतिशत बढ़कर 157.44 अरब डॉलर हो गया। जबकि इन चार महीनों के दौरान आयात 48.12 प्रतिशत बढ़कर 256.43 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

इस अवधि के दौरान व्यापार घाटा भी बढ़कर 98.99 अरब डॉलर पर आ गया। एक साल पहले इसी अवधि में यह 42 अरब डॉलर था।

इस साल जुलाई में कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात 21.13 अरब डॉलर रहा, जो जुलाई 2021 में 12.4 अरब डॉलर की तुलना में 70.4 प्रतिशत अधिक है।

आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने कोयले, कोक और ब्रिकेट (कोयले के चूरे को लेकर बनाया गया ब्लॉक) का आयात दो गुना से अधिक बढ़कर 5.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि वनस्पति तेल का आयात 47.18 फीसदी बढ़कर दो अरब डॉलर हो गया।

हालांकि सोने का आयात 43.6 प्रतिशत घटकर 2.37 अरब डॉलर रहा जो जुलाई 2021 में 4.2 अरब डॉलर था।

इंजीनियरिंग सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं आभूषण और दवा का निर्यात जुलाई 2022 में सालाना आधार पर घटा है।

निर्यात के मोर्चे पर जिन क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है, उनमें पेट्रोलियम उत्पाद, चमड़ा, इलेक्ट्रॉनिक सामान और कॉफी शामिल हैं।

वहीं इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण, प्लास्टिक, काजू तथा कालीन में गिरावट आई।

आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2022 के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 24.91 अरब डॉलर रहा। यह सालाना आधार पर 28.69 प्रतिशत अधिक है। वहीं, आयात 15.95 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जो 40.02 प्रतिशत अधिक है।

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि निर्यात में संभावित नरमी के संकेत देखे जा सकते हैं। वैश्विक स्तर पर पिछला माल बहुत सारा बचा हुआ है। वस्तु निर्यात के समक्ष कई चुनौतियां हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड -19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्थाओं के खुलने के साथ वस्तुओं से सेवाओं की खपत में फिर से बदलाव आया है। मुद्रास्फीति ने सभी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है, जो लोगों की खरीद क्षमता कम करती है। इसके कारण कई अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की स्थिति बनी रही है। जबकि कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही मंदी की चपेट में हैं।’’

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