कांग्रेस आलाकमान ने कर्नाटक में सरकार के नेतृत्व परिवर्तन पर नहीं बोलने का निर्देश दिया है: गृहमंत्री जी.परमेश्वर

कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस आलाकमान के प्रतिनिधि के रूप में पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी में सभी को निर्देश दिया है कि वे राज्य में सरकार के नेतृत्व परिवर्तन के संबंध में कोई बयान नहीं दें.

बेंगलुरु, 15 जनवरी : कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस आलाकमान के प्रतिनिधि के रूप में पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी में सभी को निर्देश दिया है कि वे राज्य में सरकार के नेतृत्व परिवर्तन के संबंध में कोई बयान नहीं दें. परमेश्वर ने कहा कि वह और अन्य नेता अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एस/एसटी) समुदायों के कांग्रेस नेताओं, मंत्रियों और सांसदों की एक बैठक के संबंध में अगले कदमों पर चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे, जिसे पिछले सप्ताह स्थगित कर दिया गया था. मुख्यमंत्री परिवर्तन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर परमेश्वर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, जो आलाकमान के प्रतिनिधि हैं, ने हमें किसी भी बदलाव के बारे में बात नहीं करने का निर्देश दिया है. इसलिए, हम इसका अनुपालन करेंगे.’’

दलित के मुख्यमंत्री बनने संबंधी मंत्री आर बी तिम्मापुर के कथित बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए तथा यह भी संकेत करते हुए कि वह स्वयं एक दलित हैं, परमेश्वर ने कहा, ‘‘वह (तिम्मापुर) भी सक्षम हैं, वह 30 वर्षों से अधिक समय से राजनीति में हैं.’’ परमेश्वर भी एक दलित हैं और मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी माने जाते हैं. कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर सत्ता को लेकर खींचतान के बीच, पार्टी नेतृत्व ने सोमवार को विधायक दल की बैठक के दौरान अपने सभी विधायकों को सार्वजनिक बयान नहीं देने का निर्देश दिया और इस बात पर जोर दिया कि सभी को आलाकमान के फैसलों का पालन करना चाहिए. इस बैठक में सुरजेवाला भी मौजूद थे. यह भी पढ़ें : कांग्रेस आलाकमान ने कर्नाटक में सरकार के नेतृत्व परिवर्तन पर नहीं बोलने का निर्देश दिया है: परमेश्वर

कांग्रेस विधायकों को यह संदेश ऐसे समय में आया है जब मंत्रियों समेत कई सदस्यों ने नेतृत्व परिवर्तन के बारे में मीडिया से खुलकर बात की है. जहां कुछ ने इसकी संभावना के संकेत दिए हैं, वहीं अन्य ने इस विचार को सिरे से खारिज किया है. हाल ही में मंत्री सतीश जारकीहोली के आवास पर सिद्धरमैया के कैबिनेट के दलित और अनुसूचित जाति के चुनिंदा सहयोगियों के साथ रात्रिभोज ने कांग्रेस के भीतर हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि मार्च में बजट पेश किए जाने के बाद राज्य में ‘‘बारी बारी से मुख्यमंत्री’’ के फॉर्मूले के तहत संभावित बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं. इस तरह की सहमति कथित तौर पर 2023 में पार्टी की चुनावी जीत के बाद बनी थी क्योंकि तब सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार दोनों मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. शिवकुमार अभी राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं.

शिवकुमार और उनके समर्थक इस फार्मूले के अनुरूप सिद्धरमैया के पद छोड़ने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं पार्टी सूत्रों ने संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री के समर्थक शिवकुमार को नेता के रूप में स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं. परमेश्वर से जब उनके नेतृत्व में पार्टी के एससी/एसटी नेताओं की बैठक स्थगित होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘अब जब बैठक स्थगित हो गई है, तो हम चर्चा करेंगे और अगले कदम पर फैसला करेंगे.’’ कांग्रेस नेतृत्व की ओर से उन कथित निर्देशों के बारे में पूछे जाने पर कि मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एससी/एसटी समुदायों के नेताओं सहित समुदाय से संबंधित बैठकें प्रदेश कांग्रेस द्वारा ही आयोजित की जाएंगी, परमेश्वर ने कहा, ‘‘उन्हें ऐसा करने दें. किसने मना किया? हमारे लिए, हमारे मुद्दों का समाधान होना ही सबसे महत्वपूर्ण है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम पार्टी नहीं हैं? क्या पार्टी हमसे अलग है? हम पार्टी हैं. अगर हम हैं, तो पार्टी है. 'हम' से मेरा मतलब जन समुदाय से है. कांग्रेस जन समुदाय द्वारा बनाई गई पार्टी है. कांग्रेस पार्टी एक आंदोलन है. इसलिए हम कहते हैं कि कांग्रेस कैडर-आधारित पार्टी नहीं है - यह एक आंदोलन है. जो कोई भी इसे अपने तरीके से व्याख्या करना चाहता है, करे.’’ परमेश्वर के नेतृत्व में 8 जनवरी की शाम को कांग्रेस के एससी/एसटी समुदाय से नेताओं, मंत्रियों और सांसदों की एक बैठक निर्धारित की गई थी, जिसे सुरजेवाला के निर्देशों के बाद स्थगित कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार, यह शिवकुमार द्वारा 6 जनवरी की रात को नयी दिल्ली में कांग्रेस महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल से मुलाकात के बाद हुआ.

कांग्रेस के भीतर एक वर्ग का मानना है कि नियोजित एससी/एसटी सम्मेलन और परमेश्वर की उक्त बैठक दलित या एएचआईएनडीए (अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए एक कन्नड़ संक्षिप्त नाम) नेता को अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग को पुनर्जीवित कर सकती है. अगर राज्य बजट के बाद सिद्धरमैया पद छोड़ देते हैं, तो यह शिवकुमार की संभावनाओं को जटिल बना सकता है, जैसा कि अनुमान लगाया गया था. मार्च तक राजनीतिक बदलाव की संभावना के बारे में पूछे जाने पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता... मैं ज्योतिषी नहीं हूं. अगर मैं ज्योतिष में अच्छा होता, तो मैं कुछ कहता.’’ सोमवार को मुख्यमंत्री और शिवकुमार द्वारा सुरजेवाला को सौंपी गई राज्य सरकार में 31 मंत्रियों के प्रदर्शन पर एक समेकित रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट फेरबदल की संभावना के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता. जिन्होंने रिपोर्ट ली है, उन्हें टिप्पणी करनी चाहिए.’’

गृहमंत्री परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने अपने विभाग और अपने कामकाज पर भी रिपोर्ट सौंपी है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने विभाग के बारे में रिपोर्ट दे दी है. जिन लोगों को रिपोर्ट मिली है, उन्हें बताना होगा कि उन्होंने इसकी मांग क्यों की.’’ सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के दौरान शिवकुमार और मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के साथ मंत्री सतीश जारकीहोली की कथित बहस के बारे में पूछे जाने पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘ऐसा कुछ नहीं हुआ. बेलगावी में कांग्रेस कार्यालय के निर्माण के बारे में उन्होंने (जारकीहोली) शिवकुमार से कहा, ‘मैंने भी पार्टी कार्यालय बनाने के लिए पैसे दिए हैं. कृपया मेरा नाम भी शामिल करें. केवल एक या दो नामों का उल्लेख क्यों?’ इसके अलावा और कुछ नहीं हुआ.’’ सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक के दौरान जिलों में नये पार्टी कार्यालयों के निर्माण में पहल करने वाले मंत्रियों के महत्व पर जोर देते हुए कथित तौर पर बेलगावी में नये पार्टी कार्यालय के निर्माण में हेब्बालकर के प्रयासों का हवाला दिया. जवाब में जारकीहोली ने अपने योगदान का उल्लेख करते हुए आपत्ति जतायी.

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