मानव तस्करों के यूक्रेनी शरणार्थियों को निशाना बनाने को लेकर चिंताएं बढ़ीं
यूक्रेन(Photo Credits: Twitter)

वहीं, एक अन्य घटना में एक व्यक्ति को 16 वर्षीय शरणार्थी को नौकरी और एक कमरा दिलाने की पेशकश करते सुना गया था. पोलैंड की मेड्यका सीमा पर स्थित एक शरणार्थी शिविर में एक व्यक्ति द्वारा केवल महिलाओं और बच्चों को मदद की पेशकश किए जाने को लेकर भी पुलिस को संदेह हुआ. हालांकि, पूछताछ में व्यक्ति अपनी बात से मुकर गया. रूसी आक्रमण के बीच लाखों महिलाओं और बच्चों के यूक्रेन की सीमाओं की तरफ भागने के मद्देनजर इन बेहद संवेदनशील शरणार्थियों को मानव तस्करों के चंगुल से बचाने और अन्य तरह के शोषण का शिकार होने से रोकने को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

रोमानिया, पोलैंड और मोल्दोवा से सटी यूक्रेनी सीमाओं का दौरा करने वाली यूएनएचसीआर की वैश्विक संचार प्रमुख जौंग-अह घेदिनी-विलियम्स ने कहा, “चूंकि, ज्यादातर शरणार्थी महिलाएं और बच्चे हैं, लिहाजा हमें न सिर्फ मानव तस्करी, बल्कि शोषण, यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के संभावित खतरों को लेकर भी चिंता करना जरूरी है. तस्कर अक्सर ऐसे ही हालात का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं.” संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक, अब तक 25 लाख से ज्यादा लोग युद्धग्रस्त यूक्रेन को छोड़ चुके हैं, जिनमें दस लाख से अधिक बच्चे शामिल हैं. इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी यूरोपीय देश से सबसे बड़ा पलायन बताया जा रहा है और इससे यूरोप में एक अभूतपूर्व मानवीय संकट खड़ा हो गया है. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र में एक व्यक्ति ने पत्नी और बेटी की हत्या करने के बाद आत्महत्या की

रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, मोल्दोवा और स्लोवाकिया सहित अन्य सीमावर्ती देशों में आम नागरिक और स्वयंसेवक उन शरणार्थियों को मदद की पेशकश कर रहे हैं, जिनका जीवन युद्ध से संकट में आ गया है.. वे मुफ्त खानपान और आश्रय से लेकर नौकरी तक का प्रस्ताव दे रहे हैं. हालांकि, जानकारों का कहना है कि इस तरह के प्रस्तावों को स्वीकार करने के जोखिम भी काफी ज्यादा हैं.