Rajya Sabha: नफरती भाषण पर राज्यसभा में जताई गई चिंता, ऐसा करने वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक की मांग
राज्यसभा में बृहस्पतिवार को राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से नफरत फैलाने वाले भाषण देने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई गई तथा ऐसा करने वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और आवश्यक कार्रवाई किए जाने की मांग की गई.
नयी दिल्ली, 7 दिसंबर : राज्यसभा में बृहस्पतिवार को राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से नफरत फैलाने वाले भाषण देने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई गई तथा ऐसा करने वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और आवश्यक कार्रवाई किए जाने की मांग की गई. उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है लेकिन कानून की अस्पष्टता के कारण इसका दुरुपयोग भी बहुत हो रहा है. उन्होंने इस पर सभी से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार-विमर्श का आग्रह किया. विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए तिवारी ने कहा कि 2014 में नफरती भाषण से संबंधित 323 प्रकरण दर्ज किए गए थे, वहीं 2020 में ऐसे प्रकरण छह गुणा बढ़कर 1,804 हो गए.
उन्होंने कहा कि साल 2022 में 1,500 प्रकरण दर्ज हो चुक हैं और अब तक तो यह संख्या इससे कहीं अधिक बढ़ गई होगी. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में इस प्रकार के मामले दर्ज हुए हैं. सदन में कांग्रेस के उपनेता तिवारी ने कहा, ‘‘सामाजिक संरचना में यह काम अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के तहत किया था. महात्मा गांधी ने इसकी काट के लिए आजादी के उस दौर में ‘वैष्णव जन’ का आह्वान किया था. इस प्रकार की टिप्पणियों से समाज में नफरत पैदा होती है और दंगे फसाद और उत्तेजना देखने को मिलती है.’’ उन्होंने सदन से अनुरोध किया कि वह इस परिस्थिति से निपटने का संकल्प ले. उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक लाभ के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है. ऐसा करने वालों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए. खासतौर से संवैधानिक पदों पर बैठे लोग यदि इसका दुरुपयोग करते हैं तो कार्रवाई होनी चाहिए. मेरी अपील है कि राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेजों की नीति का पालन नहीं करना चाहिए बल्कि हमें महात्मा गांधी के बताए मार्ग पर चलना चाहिए.’’ यह भी पढ़ें : मप्र: नवनिर्वाचित 205 विधायक करोड़पति, 296 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ भाजपा विधायक सबसे ऊपर
आम आदमी पार्टी (आप) के अशोक कुमार मित्तल ने रेलवे की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाए जाने का मामला उठाया और सरकार से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक यात्री सुविधाएं स्टशनों पर बहाल की जाएं ताकि रेलवे संपत्तियों को यात्रियों के आक्रोश से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. उन्होंने पंजाब के सरहिंद रेलवे स्टेशन पर ट्रेन स्थगित होने के बाद यात्रियों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने का जिक्र किया और कहा कि समय-समय पर अन्य स्टेशनों पर भी इस प्रकार की घटनाएं सामने आई हैं. मित्तल ने कहा कि यात्री सुविधाओं के अभाव में यात्री अपना गुस्सा निकालते हैं जो कि गलत है लेकिन इसे रोके जाने के लिए स्टेशनों पर अधिक से अधिक यात्री सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए.
बीजू जनता दल (बीजद) के प्रशांत नंदा ने ट्रेनों में आकस्मिक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए जाने की मांग उठाई वहीं कांग्रेस सदस्य रंजीत रंजन ने फिल्मों में हिंसा, खासकर महिलाओं के प्रति हिंसा को न्यायोचित तरीके से न दिखाए जाने पर चिंता जताई और कहा कि यह बहुत ही शोचनीय विषय है.