चेन्नई, 31 अक्टूबर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन ने शनिवार को कहा कि उपग्रह प्रक्षेपण यानों की विफलताओं का विश्लेषण के अलावा प्रौद्योगिकी तथा गुणवत्ता संबंधी मुद्दों के समाधान से ‘पीएसएलवी’ और ‘जीएसएलवी’ की वर्तमान पीढ़ी की सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ।
वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉमेशन टेक्नोलॉजी, डिजायन एंड मैन्युफैक्चरिंग, कांचीपुरम के आठवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले दो संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यानों (एएसएलवी) की असफलता से इसरो के वैज्ञानिकों में निराशा की भावना पैदा हो गयी थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अभी भी पहले दो एएसएलवी की विफलताओं से संबंधित इसरो की घटनाएं याद हैं... हालांकि, शुरू में हमारे बीच निराशा की भावना पैदा हुयी लेकिन हमने इस असफलता को अपने संकल्प पर हावी नहीं होने दिया।’’
कसतूरीरंगन ने कहा कि गहन विश्लेषण और समस्याओं के गहराई से आकलन के साथ ही हमने प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता के मुद्दों का हल किया और इससे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और भूस्थिर उप्रगह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) की मौजूदा पीढ़ी की कामयाबी का मार्ग प्रशस्त हुआ।
यह भी पढ़े | Mumbai: रात में वेब-सीरीज देख रहा था 18 वर्षीय का लड़का, बिल्डिंग गिरते देख 75 लोगों की बचाई जान.
असफलताओं के विश्लेषण से वैज्ञानिकों को 'कमियों’ और प्रारंभिक डिजाइन की प्रकृति के बारे में जानकारी मिली।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के दृढ़ विश्वास ने उन्हें सफल होने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ काम करने को प्रेरित किया।
कस्तूरीरंगन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 समिति के पूर्व अध्यक्ष भी हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)