विदेश की खबरें | गाजा में बंधक बनाए गए इजराइलियों की वापसी की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

इस बीच, एक छोटा अमेरिकी सैन्य पोत और संभवत: डॉक क्षेत्र की एक पट्टी मौसम संबंधी खराब परिस्थितियों के कारण इजराइली शहर अशदोद के पास समुद्र तट पर बह गई। अशदोद अमेरिका द्वारा निर्मित उस पोतघाट से अधिक दूरी पर नहीं है जिसके जरिए इजराइली सेना ने फलस्तीनी क्षेत्र में मानवीय सहायता पहुंचाए जाने का दावा किया है।

इसके अलावा, शनिवार को इजराइल द्वारा उत्तरी एवं मध्य गाजा में बमबारी किए जाने की सूचना है।

तेल अवीव में हजारों प्रदर्शनकारियों ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को छुड़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। हमास ने इजराइल पर पिछले साल सात अक्टूबर को हमला कर 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी और 250 लोगों को बंधक बना लिया था।

प्रदर्शनकारियों ने अब भी बंधक बनाकर रखे गए दर्जनों लोगों को वापस लाने के लिए सरकार से कोई समझौता करने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इस्तीफे और चुनाव कराए जाने की भी मांग की।

‘‘सभी बंधकों की वापसी के लिए महिला विरोध प्रदर्शन’’ समूह की सदस्य हिलिट सागी ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा बंधकों को अपने हाल पर छोड़ दिए जाने के बाद हम चुप नहीं बैठ सकते।

इजराइल के हमले के कारण गाजा मानवीय संकट से जूझ रहा है और वहां सहायता सामग्री पहुंचाने के प्रयास जारी हैं।

इजराइल ने कहा कि सहायता सामग्री उत्तरी गाजा और अमेरिका द्वारा निर्मित पोतघाट के माध्यम से फलस्तीनी क्षेत्र में पहुंचाई जा रही है। उसने बताया कि एक छोटी अमेरिकी सैन्य नौका और संभवत: डॉक क्षेत्र की एक पट्टी दक्षिणी इजराइली शहर अशदोद के पास एक समुद्र तट पर बह गई।

‘यूएस सेंट्रल कमांड’ ने कहा कि मानवीय सहायता मिशन में शामिल उसके चार पोत अशांत समुद्र के कारण प्रभावित हुए थे, जिनमें से दो गाजा तट पर घाट के पास और दो अन्य इजराइल में थे।

‘सेंट्रल कमांड’ के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि किसी के घायल होने की सूचना नहीं है और अमेरिका पोतों को बरामद करने के लिए इजराइली सेना के साथ मिलकर काम कर रहा है।

उत्तरी और मध्य गाजा पर शनिवार को भी इजराइली बमबारी जारी रही। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जबालिया और नुसीरात शहरों पर हुए हमलों में लोग मारे गए हैं।

फलस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार युद्ध में 35,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं।

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