वाशिंगटन, तीन फरवरी बाइडन प्रशासन ने चीन को अमेरिका का बड़ा प्रतिद्वंद्वी स्वीकार करते हुए कहा है कि वह बीजिंग की ‘‘आक्रामक एवं प्रतिरोधी’’ कार्रवाइयों का विरोध करेगा।
अमेरिका और चीन के संबंध पहले कभी इतने खराब नहीं रहे। दोनों देशों के बीच व्यापार, कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति, विवादित दक्षिण चीन सागर में आक्रामक सैन्य कार्रवाई और मानवाधिकार एवं ताइवान समेत कई मामलों पर तनाव की स्थिति है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार को अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम जब चीन की बात करते हैं, तो हम बीजिंग के प्रति हमारे रणनीतिक दृष्टिकोण की बात करते हैं। हमारी चीन के साथ गंभीर प्रतिद्वंद्वता है। हम उसके साथ संबंधों को रणनीतिक प्रतिद्वंद्वता के चश्मे से देखते हैं।’’
प्राइस ने कहा कि चीन के कदमों ने अमेरिकी कर्मियों को नुकसान पहुंचाया है और वैश्विक संस्थाओं में अमेरिकी गठबंधनों एवं प्रभाव को खतरा पैदा किया है।
उन्होंने कहा कि चीन ने मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया है।
प्राइस ने कहा, ‘‘हम चीन की आक्रामक एवं प्रतिरोधी कार्रवाई का विरोध करेंगे, अपनी सैन्य बढ़त को बनाए रखेंगे, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे, उन्नत तकनीक में निवेश करेंगे और अपनी अहम सुरक्षा साझेदारियों को बनाए रखेंगे।’’
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में चीन से अपील की कि वह ताइवान पर सैन्य, कूटनीतिक एवं आर्थिक दबाव बनाना बंद करें और ताइवान के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेतृत्व के साथ अर्थपूर्ण वार्ता करे।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि चीन के प्रति बाइडन प्रशासन का दृष्टिकोण रणनीतिक है। उन्होंने कहा कि बाडइन प्रशासन अमेरिका के सहयोगियों के साथ संबंध और मजबूत करने की दिशा में काम करेगा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)