रायपुर, चार फरवरी छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पांच नक्सलियों ने बृहस्पतिवार को आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने बताया कि उनमें से दो सुरक्षाबलों पर हुए कई हमलों में शामिल थे और उनके सिर पर भारी ईनाम था।
जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने कहा कि एक महिला सहित सभी नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया।
उन्होंने कहा कि उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे 'खोखली नक्सली विचारधारा' से निराश हैं और पुलिस के पुनर्वास अभियान 'लोन वरातु' ने उन्हें हथियार डालने के लिए प्रेरित किया।
पल्लव ने कहा कि जून 2020 में लोन वरातु (अपने घर लौटते हैं) अभियान के बाद से अब तक जिले में 293 लोग नक्सलवाद छोड़ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार को आत्मसमर्पण करने वालों में माओवादियों की भैरमगढ़ एरिया कमेटी का 'कमांडर' गंगू उर्फ लखन कुहदम(38), शामिल था, जो दंतेवाड़ा और पड़ोसी बीजापुर जिले में कम से 21 मामलों में वांछित था।
उन्होंने कहा कि कुहदम पिछले साल बीजापुर में अलग-अलग घटनाओं में तीन नागरिकों की हत्या और 2008 में ताड़केल मुठभेड़ में कथित तौर पर शामिल था जहां छह पुलिसकर्मी और कई उग्रवादी मारे गए थे।
आत्मसमर्पण करने वाली एक अन्य नक्सली लक्ष्मी उर्फ सन्नी ओम (38) इसी भैरमगढ़ एरिया कमेटी यूनिट में कमांडर थी और बीजापुर के जांगला इलाके में 2004 में बारूदी सुरंग विस्फोट सहित हिंसा की कम से कम नौ घटनाओं में कथित रूप से शामिल थी।
इस धमाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सात जवान मारे गए थे।
पल्लव ने बताया कि दोनों के सिर पर पांच लाख रुपये का पुरस्कार था।
उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले अन्य तीन हेमला बांडी (28), कोसा मदकम (23) और मादवि हिडमा (18) संगठन के कैडर थे।
एसपी ने कहा कि उनमें से प्रत्येक को 10,000 रुपये की तत्काल सहायता दी गई और सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के अनुसार और अधिक सहायता प्रदान की जाएगी।
'लोन वरातु' अभियान के तहत दंतेवाड़ा पुलिस ने कम से कम 1,600 नक्सलियों के मूल गांवों में पोस्टर और बैनर लगाए हैं, जिनमें से ज्यादातर के सिर पर नकद पुरस्कार है, और उनसे मुख्यधारा में लौटने की अपील की है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)