देश की खबरें | प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए केंद्र कोई शर्त न रखे: टिकैत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है, तो उसे शर्तें नहीं रखनी चाहिए।
चंडीगढ़, चार जुलाई भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है, तो उसे शर्तें नहीं रखनी चाहिए।
टिकैत की यह टिप्पणी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि तीन नए केंद्रीय कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे और यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करने की मांग को छोड़कर, अन्य मुद्दों पर प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।
टिकैत ने रोहतक में संवाददाताओं से कहा, 'हमने पहले भी कहा है कि जब भी सरकार तैयार होगी, हम बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन वे यह कहकर इसे सशर्त क्यों बना रहे हैं कि वे कृषि कानून वापस नहीं लेंगे?”
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, "भले ही वे (केंद्र) किसानों से बात कर लें, लेकिन उन्हें कॉरपोरेट चला रहे हैं।"
किसान नेता ने इससे पहले रोहतक में महिला कार्यकर्ताओं द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के समर्थन में आयोजित 'पिंक धरना' को संबोधित किया था। जींद जिले में उचाना के पास किसानों की एक महापंचायत भी आयोजित की गई, जिसमें नौ प्रस्ताव पारित किए गए।
बीकेयू की जींद इकाई के नेता आजाद पलवा ने संवाददाताओं से कहा कि महापंचायत ने हरियाणा में आगामी पंचायत चुनावों में भाजपा-जजपा समर्थित उम्मीदवारों का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है, तो भाजपा और जजपा के उम्मीदवारों को विधानसभा और संसदीय चुनावों में भी बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।
'पिंक-महिला किसान धरना' को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, ''महिला कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित ऐसा धरना हरियाणा में ही संभव है, जहां महिलाएं भी इस (किसान) आंदोलन में भाग लेने में सबसे आगे रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि जारी आंदोलन अब "विचारों की क्रांति" बन गया है। उन्होंने कहा कि किसान भले ही कई महीनों से "काले कृषि कानूनों" का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
उन्होंने कहा, "देश में अघोषित आपातकाल है और इस देश की जनता को जागना चाहिए..।" टिकैत ने आरोप लगाया कि यदि कृषि कानूनों को लागू किया जाता है, तो किसानों को अंततः छोटी-मोटी नौकरियां करने के लिए मजबूर किया जाएगा क्योंकि उनकी जमीन बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा छीन ली जाएगी।
कृष्ण
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