देश की खबरें | केंद्र ने कोविड पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने के अनुरोध वाली याचिकाओं का विरोध किया

नयी दिल्ली, 26 जून केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि उसके साथ ''राजकोषीय सामर्थ्य'' का कोई मुद्दा नहीं है लेकिन ''राष्ट्र के संसाधनों का तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और सर्वोत्तम उपयोग'' करने के मद्देनजर कोविड के कारण जान गंवाने वालों के परिवारों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान नहीं की जा सकती।

केंद्र ने शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है। उच्चतम न्यायालय ने 21 जून को उन दो जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें केंद्र और राज्यों को कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को कानून के तहत चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति का अनुरोध किया गया था।

कोविड को जीवनकाल में एक बार पूरे विश्व को अपनी जद में लेने वाली महामारी करार देते हुए केंद्र ने 39 पृष्ठों के लिखित अभिवेदन में कहा कि देश में महामारी से निपटने की रणनीति तय करने के लिए कई कदम उठाए गए और इसके लिए न केवल राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) एवं राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के कोष का इस्तेमाल किया गया बल्कि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार भारत की समेकित निधि के कोष का भी उपयोग किया जा रहा है।

केंद्र ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर 12 विशिष्ट चिन्हित आपदाओं को लेकर वर्ष 2015 से 2020 के दौरान प्रस्तावित खर्च के दिशा-निर्देशों में कोविड-19 शामिल नहीं है। इन आपदाओं में चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सूनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीट-हमला, पाला और शीत लहर शामिल है।

हलफनामे के मुताबिक, '' इसके अलावा, संबंधित राज्य सरकारों को राज्य आपदा मोचन बल के वार्षिक कोष का 10 फीसदी, उन प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई है जोकि स्थानीय संदर्भ में अधिसूचित हैं।''

हलफनामे में कहा गया कि केंद्र सरकार पहले ही कोविड को आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत आपदा घोषित कर चुकी है। इससे पहले, केंद्र ने न्यायालय से कहा था कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसका वित्तीय बोझ उठाना मुमकिन नहीं है और केंद्र एवं राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।

उस दौरान शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें याचिकाकर्ताओं के वकील रीपक कंसल और गौरव कुमार बंसल ने केंद्र और राज्यों को कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को कानून के तहत चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति का अनुरोध किया था।

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