केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और दो थाना क्षेत्रों को आफस्पा के तहत ‘अशांत’ घोषित किया
केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और एक अन्य जिले के दो थाना क्षेत्रों को उग्रवादी गतिविधियों और कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम के तहत अगले छह महीने के लिए ‘अशांत’ घोषित कर दिया है.
नयी दिल्ली, 1 अक्टूबर : केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और एक अन्य जिले के दो थाना क्षेत्रों को उग्रवादी गतिविधियों और कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम के तहत अगले छह महीने के लिए ‘अशांत’ घोषित कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना एक अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2022 तक प्रभावी होगी. मंत्रालय के अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि पहली बार, लंबे समय के बाद दो अन्य जिलों- लोअर दिबांग और लोहित- के दो पुलिस थाना क्षेत्रों में आफस्पा कानून लागू नहीं होगा और यह फैसला सुरक्षा हालात में सुधार के मद्देनजर लिया गया है. केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम-1958 की धारा-3 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक अप्रैल 2021 को जारी अधिसूचना में अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लॉन्गडिंग जिलों और चार पुलिस थाना क्षेत्रों- दो नामसई जिले में और लोअर दिबांग और लोहित जिले के एक-एक पुलिस थाना क्षेत्र को ‘अशांत’ इलाका घोषित किया था, जो असम की सीमा से सटे हैं.
मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लॉन्गडिंग जिलों और असम की सीमा से लगते चार थाना क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की हाल में समीक्षा की. अधिसूचना में कहा गया, ‘‘ अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लॉन्गडिंग जिलों और नामसई जिले के नामसई और महादेवपुर पुलिस थाना क्षेत्र को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम-1958 की धारा-3 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2022 तक या इससे पहले आदेश वापस लेने तक ‘अशांत क्षेत्र ’ घोषित किया जाता है.’’ यह भी पढ़ें : Rajasthan by-Election 2021: राजस्थान में विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव के लिए नामांकन शुरू
आफस्पा उन इलाकों में लागू किया जाता है, जहां पर नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सशस्त्र बलों की जरूरत होती है.
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में एनएससीएन, उल्फा और एनडीएफबी जैसे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों की मौजूदगी है.