देश की खबरें | भाजपा नेताओं को फंसाने के आरोप में सीबीआई ने अनिल देशमुख के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महाराष्ट्र के शीर्ष नेताओं को 2020 में एक झूठे मामले में फंसाने की कथित साजिश के लिए महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, तत्कालीन विशेष सरकारी अभियोजक प्रवीण पंडित चव्हाण और दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक नयी प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, चार सितंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महाराष्ट्र के शीर्ष नेताओं को 2020 में एक झूठे मामले में फंसाने की कथित साजिश के लिए महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, तत्कालीन विशेष सरकारी अभियोजक प्रवीण पंडित चव्हाण और दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक नयी प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने दो साल की प्रारंभिक जांच के बाद मामला दर्ज किया। यह जांच एक पैन ड्राइव पर आधारित थी जो 2020 में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने तत्कालीन महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी थी।
‘पेन ड्राइव’ में कथित वीडियो थे, जिसमें दिखाया गया था कि विशेष लोक अभियोजक चव्हाण ने जलगांव जिला मराठा विद्या प्रसारक सहकारी समाज के ट्रस्टी और वकील विजय पाटिल और तत्कालीन गृह मंत्री तथा राकांपा (एसपी) नेता देशमुख के साथ भाजपा नेता गिरीश महाजन (जो अब मंत्री हैं) को फंसाने के लिए कथित तौर पर साजिश रची थी।
मामला 2020 में पाटिल की शिकायत पर दर्ज किया गया था जिन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें 2018 में पुणे में एक होटल में ले जाया गया जहां अज्ञात लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया और अन्य ट्रस्टी के साथ इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया तथा उन्हें बताया कि महाजन जलगांव जिला मराठा विद्या प्रसारक सहकारी समाज लिमिटेड पर अपना नियंत्रण चाहते हैं।
सीबीआई ने कहा कि शिकायत पहले शून्य प्राथमिकी के रूप में दर्ज की गई थी और बाद में पुणे भेज दी गई जहां पांच जनवरी 2021 को दर्ज की गई थी।
प्राथमिकी में आरोप है, ‘‘सीबीआई की प्रारंभिक जांच के प्रथम दृष्टया निष्कर्षों से पता चलता है कि विशेष लोक अभियोजक प्रवीण पंडित चव्हाण ने शिकायतकर्ता के रूप में काम करने वाले विजय भास्करराव पाटिल और तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के साथ मिलकर 9 दिसंबर, 2020 को निम्भोरा जलगांव पुलिस थाने में पुणे की दो साल पुरानी घटना से संबंधित एक जीरो प्राथमिकी दर्ज करने की साजिश रची। इसका उद्देश्य जलगांव जिला मराठा विद्या प्रसारक सहकारी समाज लिमिटेड (शैक्षणिक संस्थान) पर नियंत्रण हासिल करने के मामले में भाजपा नेताओं और अन्य लोगों को झूठा फंसाना था।’’
सीबीआई का आरोप है कि आपराधिक षड्यंत्र के तहत विशेष लोक अभियोजक चव्हाण, पाटिल और तत्कालीन डीसीपी पूर्णिमा गायकवाड़ एवं एसीपी सुषमा चव्हाण ने गवाहों के झूठे बयान और साक्ष्य गढ़े ताकि भाजपा नेताओं और अन्य बेगुनाह लोगों को गलत तरह से फंसाया जा सके।
सीबीआई ने देशमुख के अलावा प्राथमिकी में चव्हाण, पाटिल, गायकवाड़ और सुषमा चव्हाण के नाम आरोपी के तौर पर दर्ज किए हैं।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिल देशमुख ने मामले को ‘बेबुनियाद’ बताया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जनता का मत देखकर फडणवीस के पैरों तले की जमीन खिसक जाने के बाद यह साजिश शुरू हुई है। मुझे ऐसी धमकियों और दबाव से कोई डर नहीं है। मैंने भाजपा के इस जुल्म के खिलाफ डटकर लड़ने की कसम खाई है।’’
देशमुख ने कहा कि लोगों को देखना चाहिए कि फडणवीस महाराष्ट्र में कितनी निचले स्तर की और संकुचित मानसिकता वाली गंदी राजनीति कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव में लोगों ने साजिश करने वाले इस नेतृत्व को उसकी जगह दिखा दी है और अब महाराष्ट्र के लोग विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रहे हैं।’’
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