देश की खबरें | लय की तलाश में कप्तान पंड्या

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नयी दिल्ली, 28 मार्च हार्दिक पंड्या के दूसरी बार मुंबई इंडियन्स से जुड़ने के बाद टीम ने टूर्नामेंट में अब तक सिर्फ दो मैच खेले हैं लेकिन ऐसा लगता है कि उनके सामने काफी समस्याएं हैं और अब तक वह कप्तानी में भी सहज नजर नहीं आए हैं।

मौजूदा राष्ट्रीय टीम में सबसे बड़े मैच विजेताओं में से एक ऑलराउंडर हार्दिक उन्हें निखारने वाली टीम से दोबारा जुड़ने के बावजूद आईपीएल में असहज नजर आ रहे हैं।

हार्दिक को मुंबई में सबके चहेते रोहित शर्मा की जगह कप्तान बनाया गया है जिससे लोगों में उनके प्रति नाराजगी भी है।

नतीजों ने चीजों को और बदतर बना दिया है। दो मैच, दो हार और कुछ साधारण रणनीति ने हार्दिक को मुश्किल में डाल दिया है जबकि उनकी स्वयं की खराब फॉर्म ने मुसीबत बढ़ा दी है।

तीस साल के हार्दिक की कप्तानी को हालांकि फिलहाल कोई खतरा नहीं है क्योंकि आईपीएल की सबसे अधिक स्थानांतरण राशि पर उन्हें टीम में लाने के बाद मुंबई इंडियन्स के मालिक जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहते।

मुंबई की टीम टूर्नामेंट में धीमी शुरुआत करती रही है और लय हासिल करने में समय लेती है तथा ऐसे में हार्दिक को टूर्नामेंट की शुरुआत में ही चुका हुआ मान लेना सही नहीं होगा क्योंकि आखिरकार वह पांच बार की चैंपियन टीम का नेतृत्व कर रहे हैं।

पिछले तीन सत्र में चूकने के बाद मुंबई सफलता के लिए बेताब है लेकिन टीम इस तथ्य से भी मुंह नहीं मोड़ सकती कि हार्दिक गलतियां कर रहे हैं और उनके पास ऐसा कोई नहीं है जो इसमें सुधार कर सके।

गुजरात टाइटंस का कप्तान रहने के दौरान उनके पास आशीष नेहरा थे जो ठोस रणनीतियां बनाने के लिए जाने जाते हैं।

जब शुभमन गिल ने औपचारिक रूप से गुजरात के कप्तान के रूप में कार्यभार संभाला तो सत्र पूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेहरा ने अहमदाबाद में उदास भाव से कहा था, ‘‘मैंने हार्दिक को रुकने के लिए मनाने की कोशिश नहीं की।’’

नेहरा को व्यापक रूप से रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है जो कप्तान के माध्यम से अपने फैसलों को लागू करवाते हैं।

नेहरा को अक्सर एक अति उत्साही फुटबॉल मैनेजर की तरह सीमा रेखा के पास से अपने कप्तान तथा खिलाड़ियों का ध्यान खींचने की कोशिश करते हुए और निर्देश देते हुए देखा जाता है।

भारतीय टीम के उनके एक पूर्व साथी ने उनके बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘गुजरात टाइटंस में यह एक खुला रहस्य था कि आशु (नेहरा को टीम के पुराने साथी इसी नाम से संबोधित करते हैं) रणनीतिकार थे और हार्दिक उसे लागू करते थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हार्दिक आशु की योजनाओं को लागू करने में अच्छे थे। आशु एक क्रिकेट कोच की आड़ में एक फुटबॉल मैनेजर की तरह है। वह कुछ सलाह के साथ लगातार सीमा रेखा के आसपास घूमता रहता है। उसका मानना है कि अगर कप्तान प्रतिबद्ध होने के लिए तैयार है तो वह सफलता का नुस्खा तैयार कर सकता है।’’

गुजरात को खिताब तक ले जाना हार्दिक के लिए अपेक्षाकृत कम जटिल काम था लेकिन मुंबई के साथ मामला अलग है जहां नेतृत्व क्षमता के कई बिंदु हैं।

हार्दिक के लिए मुंबई लौटना एकल परिवार से संयुक्त परिवार में आने जैसा रहा है, जहां आपको कई लोगों के प्रश्नों, मांगों और सुझावों के साथ तालमेल बैठाने की जरूरत होती है।

हार्दिक के फैसलों पर भी सवाल उठे हैं। उन्होंने टाइटंस के खिलाफ टिम डेविड को अपने से पहले बल्लेबाजी करने भेजा जबकि बुधवार रात जब सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाज तूफानी प्रदर्शन कर रहे थे तो उन्होंने जसप्रीत बुमराह को तीन ओवर तक गेंदबाजी नहीं दी।

हार्दिक को तीसरे नंबर पर सूर्यकुमार यादव की कमी खल रही है जो चोट से पूरी तरह नहीं उबरे हैं। दो अंतरराष्ट्रीय गेंदबाजों दिलशान मदुशंका और जेसन बेहरेनडोर्फ की गैरमौजूदगी ने भी टीम का संतुलन प्रभावित किया है।

हार्दिक की बल्लेबाजी से हालांकि लोग अधिक निराश हैं। उन्होंने मुंबई के साथ जब 2015, 2017, 2019 और 2020 में खिताब जीते तो उनका स्ट्राइक रेट क्रमश: 180.64, 156.25, 191.42 और 178.98 रहा।

पिछले दो सत्र में गुजरात टाइटंस के कप्तान के रूप में हालांकि हार्दिक 131.27 और 136.76 के स्ट्राइक रेट से ही रन बना पाए ।

वर्ष 2022 में हार्दिक जब पहली बार कप्तानी करते हुए टाइटंस को खिताब दिलाने में सफल रहे तो डेविड मिलर और राहुल तेवतिया ने फिनिशर की भूमिका शानदार तरीके से निभाई जबकि 2023 में गिल ने अकेले 890 रन बनाकर टीम को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

मुंबई के बल्लेबाजी क्रम में हालांकि इशान किशन के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी है जबकि नमन धीर को अधिक अनुभव नहीं है। टिम डेविड के प्रदर्शन में भी काफी उतार-चढ़ाव है। ऐसे में हार्दिक को स्वयं जिम्मेदारी लेने की जरूरत है।

हार्दिक को साथ ही रोहित, बुमराह और वापसी करने पर सूर्यकुमार को नेतृत्व का हिस्सा बनाना होगा।

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