अहमदाबाद, 13 मई अहमदाबाद में एक कैंसर मरीज के परिजनों ने सिविल अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्हें पांच मई को भर्ती होने के बाद मरीज की स्थिति और उसकी पांच दिन पहले हुई उसकी मौत के बारे में सूचित नहीं किया गया।
परिजनों ने कहा कि उन्हें मरीज के बारे में तब पता चला जब उसका शव अस्पताल के मुर्दाघर में रखा मिला। 54 वर्षीय मृतक पोरबंदर का रहने वाला था।
मृतक के बेटे ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने उसे चार मई को अपने पिता का कोरोना वायरस की जांच के लिए अस्पताल से जुड़े कोविड-19 केंद्र से संपर्क करने के लिए कहा।
बेटे ने दावा किया कि पिता के बलगम का नमूना सिविल अस्पताल के कोवि़ड केन्द्र में लिया गया था और उन्हें चार मई को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसने कहा ‘‘अधिकारियों ने मुझे बताया कि वे मुझे मेरे पिता की जांच रिपोर्ट के बारे में सूचित करेंगे। लेकिन आठ दिनों तक मेरे फोन नंबर पर कोई कॉल नहीं आया।”
उन्होंने कहा कि वह रोजाना अस्पताल जाते थे और हेल्प डेस्क पर अपना फोन नंबर छोड़कर आए थे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मरीजों के रजिस्टर में उनके पिता का कोई रिकॉर्ड नहीं था।
उन्होंने तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया से मदद के लिए संपर्क किया क्योंकि मृतक एक पार्टी कार्यकर्ता था।
मोढवाडिया ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया था कि कैंसर के मरीज को कोविड केन्द्र के वार्ड नंबर तीन में भर्ती कराया गया था और ओपीडी रिकॉर्ड के अनुसार आईसीयू में नहीं था। हालांकि उस वार्ड में मरीज नहीं मिला।’’
मृतक के बेटे ने बताया कि अधिकारियों ने आखिरकार मरीज अस्पताल के मुर्दाघर में मृत मिला।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे बताया कि मेरे पिता की मृत्यु आठ मई को हुई थी। लेकिन मुझे आज तक उनकी मृत्यु के बारे में सूचित नहीं किया गया था और ऐसा लगता है कि उन्होंने दबाव बनने पर उन्हें खोजा है।’’
सिविल अस्पताल में कोविड-19 मामलों के लिए विशेष ड्यूटी अधिकारी एमएम प्रभाकर ने कहा कि रोगी की मृत्यु आठ मई को हुई थी।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने मृतक के बेटे से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
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