नयी दिल्ली, 17 सितंबर शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू की अमेरिकी कर्जदाता ग्लास ट्रस्ट ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि बायजू की दिवाला कार्यवाही का संचालन कर रहे अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) ने उसे कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) से गलत ढंग से हटा दिया है।
अमेरिकी कंपनी ग्लास ट्रस्ट कंपनी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष ये दलीलें दीं। इस पीठ ने इस मामले की सुनवाई शुरू की।
सिब्बल ने कहा, "बायजू में मेरी कंपनी की 12,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। मेरी हिस्सेदारी 99.41 प्रतिशत है लेकिन आईआरपी ने इसे शून्य कर दिया है।"
उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों के पास 0.59 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, उनके पास अब 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, "मैं नहीं चाहता कि आईआरपी इस कार्यवाही को आगे बढ़ाए।"
अमेरिकी फर्म ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने शीर्ष अदालत में याचिकाएं लंबित होने से आईआरपी पंकज श्रीवास्तव के खिलाफ उसकी नई याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। ऐसी स्थिति में सिब्बल ने सीओसी में कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की।
इस मामले में बुधवार को सुनवाई फिर से शुरू होगी।
पीठ ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही पर रोक लगाने वाले एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ 17 सितंबर को सुनवाई करेगी।
इससे पहले 22 अगस्त को पीठ ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था कि सीओसी वित्तीय संकट से घिरी बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही के अनुसरण में कोई बैठक नहीं करेगी।
शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को बायजू को बड़ा झटका देते हुए एनसीएलएटी के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को अलग रखने के साथ भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी दी गई थी।
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