ताजा खबरें | जनजातीय मंत्रालय के बजट में कटौती सरकार की नीयत पर सवाल उठाती है : विपक्ष

नयी दिल्ली, 16 मार्च जनजातीय समुदाय के विकास को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता बताते हुए बुधवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में आठ मंत्री जनजातीय समुदाय से होना इस समुदाय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है वहीं विपक्ष ने आरोप लगाया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय के बजट में कटौती सरकार की नीयत पर सवाल उठाती है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में हो रही चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए रिजीजू ने कहा ‘‘देश में आदिवासियों की आबादी करीब आठ फीसदी है। उनके मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाने के कारणों के बारे में, आदिवासियों के अपने विचारों के बारे में समझना बहुत जरूरी है।’’ उच्च सदन में यह चर्चा कल शुरू हुई और आज इसे आगे बढ़ाया गया।

उन्होंने कहा कि आदिवासी छोटे छोटे समूहों में रहते बसते हैं और उनकी बातें, उनके मुद्दे उनके लिए बड़े होते हैं भले ही उनके समूह छोटे हों। उन्होंने कहा कि अपने मुद्दों को लेकर दिल्ली आने वाले आदिवासियों से मिलने के लिए पहले किसी के पास समय नहीं होता था। उन्होंने कहा ‘‘कभी तो धैर्य होता है अैर मुद्दों को सुलझा लिया जाता है लेकिन कभी नाराजगी बढ़ जाती है और वे हथियार उठा लेते हैं।’’

रिजीजू ने कहा ‘‘भारत विविधताओं से भरा देश है जिसमें छोटी छोटी बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पहले पूर्वोत्तर राज्यों में आए दिन बंद इसीलिए होता था क्योंकि वहां के आदिवासियों की बात नहीं सुनी जाती थी। अब ऐसा नहीं है। इसका उदाहरण हाल ही में मणिपुर में शांतिपूर्वक संपन्न विधानसभा चुनाव हैं।’’

उन्होंने कहा ‘‘सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि पूर्वोत्तर क्षेत्र और जनजातीय समुदाय के लिए भी अलग अलग मंत्रालय बनने चाहिए। उस समय बोया हुआ यह बीज आज पेड़ बन चुका है।’’

उन्होंने कहा कि पहली बार, आज सरकार में जनजातीय समुदाय के तीन कैबिनेट मंत्री तथा पांच राज्य मंत्री हैं और ‘‘मैं खुद जनजातीय समुदाय का हूं और इस देश का कानून मंत्री हूं। यह अपने आप में बहुत बड़ा संदेश है। राजनीति अपनी जगह चलती रहती है लेकिन कई बातें इससे अलग होती हैं और भावनाओं से भी जुड़ती हैं।’’

रिजीजू ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा ‘‘आदिवासी बेहद सीधे सादे होते हैं। वे अगर अपने नेता को अगर भगवान का दर्जा देना चाहते हैं तो इसमें गलत क्या है?

उनका इशारा वाम सदस्य विनय विश्वम की ओर था जिन्होंने आदिवासी नेता बिरसा मुंडा को भगवान कहे जाने पर आपत्ति जताई थी। रिजीजू ने कहा कि बिरसा मुंडा को भगवान का टाइटिल भाजपा ने नहीं दिया है।

भाकपा सदस्य विनय विश्वम ने कहा ‘‘अब समय बदल गया है और आदिवासियों को अपने अधिकारों के लिए दृढ़ता के साथ आवाज उठानी होगी।’’

उन्होंने कहा कि एक ओर जनजातीय कार्य मंत्रालय को वह आवंटन नहीं मिल पाता जो उसे मिलना चाहिए, वहीं दूसरी ओर विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित राशि भी पूरी तरह खर्च नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में ऐसा लगातार देखने में आया है। ‘‘इसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।’’

उन्होंने आदिवासी नेता बिरसा मुंडा को ‘भगवान’ कहे जाने पर आपत्ति जताई। इस पर सदन में मौजूद भाजपा सदस्यों ने विरोध व्यक्त किया।

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