पटना, 10 नवंबर बिहार विधानमंडल का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस सत्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का ऐतिहासिक विधेयक पारित किया गया।
बिहार विधानमंडल का यह शीतकालीन सत्र जनसंख्या को नियंत्रित करने में महिलाओं के बीच शिक्षा के महत्व पर दोनों सदनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विवादास्पद टिप्पणी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर उनके द्वारा भड़ास निकाले जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों द्वारा लगातार विरोध और स्थगन के कारण चर्चा में रहा।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने बुधवार को महिलाओं पर एक दिन पहले की गई टिप्पणियों के लिए बिहार विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह माफी मांगी।
मुख्यमंत्री के माफी मांगने के बाद भी विपक्षी सदस्यों ने उनकी टिप्पणी को लेकर दोनों सदनों में हंगामा किया।
बिहार विधानमंडल के इस सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश किए गए बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) (संशोधन) विधेयक 2023 और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में) आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 शामिल रहे।
इन विधेयक में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में जाति आधारित कोटा बढ़ाकर 65 प्रतिशत किए जाने का प्रावधान किया गया है।
सरकार द्वारा आयोजित राज्य के जाति आधारित सर्वेक्षण में पता चला है कि सामान्य श्रेणियों की तुलना में हाशिए पर रहने वाली जातियों की स्थिति आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी खराब है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत कोटा के पहले से मौजूद प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, राज्य में नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की कुल सीमा अब 75 प्रतिशत होगी।
ये दोनों विधेयक, जिसे विधानमंडल के दोनों सदनों में से पारित किए गए अब राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को उनकी सहमति के लिए भेजे जाएंगे।
बिहार विधानमंडल के इस सत्र के दौरान ध्वनि मत से पारित किए गए अन्य प्रमुख विधेयकों में बिहार विनियोग (संख्या-4) विधेयक 2023, बिहार सचिवालय सेवा (संशोधन) विधेयक 2023, बिहार माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2023 तथा बिहार पंचायत राज (संशोधन) विधेयक 2023 शामिल हैं।
बिहार विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पूर्व सदन अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान प्राप्त कुल 891 प्रश्नों में से 739 प्रश्न विधानसभा सचिवालय द्वारा स्वीकार किए गए। 739 प्रश्नों में से 33 अल्पसूचित प्रश्न थे।
चौधरी ने कहा कि 128 ध्यानाकर्षण सूचनाओं और प्रश्नों के माध्यम से जन कल्याण से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए।
बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के पूर्व बताया कि कुल 347 प्रश्नों की सूचनाएं प्राप्त हुईं जिनमें से 305 प्रश्नों को स्वीकृत किया गया। 27 ध्यानाकर्षण सूचनाओं और प्रश्नों के माध्यम से जन कल्याण से जुड़े अन्य मुद्दे उठाए गए।
बिहार विधानमंडल का यह संक्षिप्त शीतकालीन सत्र छह नवंबर से शुरू हुआ था, जिसमें कुल पांच बैठकें हुईं।
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