रामगढ़/बोकारो (झारखंड), 12 नवंबर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करते हुए दावा किया कि पार्टी झारखंड में आदिवासियों के मुद्दों पर बात करती रही है, लेकिन उसने मणिपुर में जातीय हिंसा पर चुप्पी साध रखी है, जिससे वहां आदिवासियों का जीवन प्रभावित हुआ है।
रामगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा का एजेंडा सौहार्दपूर्वक रह रहे समुदायों को धर्म के नाम पर बांटना है।
सोरेन ने दावा किया, “भाजपा झारखंड के आदिवासियों के बारे में खूब बातें कर रही है और उनका एकमात्र हितैषी होने का दिखावा कर रही है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य (भाजपा) नेता मणिपुर हिंसा के बारे में चुप हैं। वहां रहने वाले आदिवासियों का जीवन हिंसा से प्रभावित हुआ है।”
पिछले वर्ष मई से मणिपुर के मेइती और कुकी समुदायों के सदस्यों के बीच संघर्ष में 200 से अधिक लोग मारे गए। हिंसा भड़कने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया था, लेकिन मोदी ने ऐसा नहीं किया।
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा आदिवासियों को लुभाने में जुटी है। 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की कुल जनसंख्या 3,29,88,134 है। इनमें से 26.21 प्रतिशत (86,45,042) आदिवासी हैं।
सोरेन ने कहा कि असम और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री क्रमश: हिमंत विश्व शर्मा और योगी आदित्यनाथ झारखंड में झामुमो नीत सरकार पर हमला करते हुए प्रचार कर रहे हैं।
झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, “उन्हें झारखंड की जनता को बताना चाहिए कि उन्होंने अपने (भाजपा शासित) राज्य में गरीबों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं के लिए क्या किया। हमारी सरकार ने लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं।”
उन्होंने अपनी सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके कार्यकाल का लगभग आधा हिस्सा कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए समर्पित था और उनकी सरकार ने लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे लाखों प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए सभी प्रबंध किए थे।
बोकारो जिले के बेरमो विधानसभा क्षेत्र में एक अन्य सभा में सोरेन ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन में कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं, क्योंकि इस सरकार ने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया।
उन्होंने दावा किया कि हालांकि अमीरों और उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर दिए गए।
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