ताजा खबरें | बीजद ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सुरेंद्र साय का स्मारक बनाने की मांग राज्यसभा में उठाई
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने लोक महत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए और इस दौरान ओडिशा के स्वतंत्रता सेनानी वीर सुरेंद्र साय का स्मारक बनाने और दिल्ली में मुंबई की ‘‘बेस्ट’’ परिवहन प्रणाली का मॉडल अपनाने की मांग उठी।
नयी दिल्ली, पांच अप्रैल राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने लोक महत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए और इस दौरान ओडिशा के स्वतंत्रता सेनानी वीर सुरेंद्र साय का स्मारक बनाने और दिल्ली में मुंबई की ‘‘बेस्ट’’ परिवहन प्रणाली का मॉडल अपनाने की मांग उठी।
एक सदस्य ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) का मामला उठाया और इसे गरीब छात्रों के खिलाफ बताते हुए सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की।
शून्य काल में बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य ने गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि ओडिशा के संबलपुर के रहने वाले वीर सुरेंद्र साय ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया लेकिन फिर इतिहास के पन्नों में वह गुम हो गए।
उन्होंने कहा, ‘‘रंगभेद विरोधी नेलसन मंडेला के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सर्वाधिक 26 साल जेल में बिताए। लेकिन मात्र 17 साल की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए वीर सुरेंद्र साय ने 36 साल जेल में बिताए। उन्हें न केवल प्रताड़ित किया गया, बल्कि उनके परिवार को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ी। उनके पूरे परिवार को जेल भेज दिया गया, परिवार के कुछ सदस्यों को फांसी दी गई और कुछ को अंडमान निकोबार जेल भेज दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि वीर सुरेंद्र साय ने महाराष्ट्र की असीरगढ़ जेल में 74 साल की उम्र में आखिरी सांस ली थी। उन्होंने कहा, ‘‘अंग्रेज सैनिकों ने उनकी आंखें फोड़ दी थीं। इस महान स्वतंत्रता सेनानी का कहीं कोई स्मारक नहीं है।’’
आचार्य ने केंद सरकार से मांग की कि महाराष्ट्र में वीर सुरेंद्र साय का स्मारक बनाया जाए। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से भी इस ओर ध्यान देने की अपील की।
शिवसेना सदस्य अनिल देसाई ने मुंबई की ‘‘बेस्ट’’ बस प्रणाली का मुद्दा उठाया और इस परिवहन मॉडल को दिल्ली में अपनाए जाने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि ‘‘बृहनमुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाइड एंड ट्रांसपोर्ट’’ सेवा शुरू हुए 150 साल हो गए और यह मुंबई के लोगों के लिए ‘‘जीवन रेखा’’ है।
उन्होंने कहा कि यह मुंबई नगर निगम के अंतर्गत आती है, इसे राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है और यह ‘‘प्रॉफिट मेकिंग’’ नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन एवं अनुशासित सेवा है। उन्होंने इस मॉडल को दिल्ली में भी लागू किए जाने की मांग की।
देसाई ने कहा कि दिल्ली में कोविड काल के बाद बसों में फिर से भीड़ नजर आती है जबकि महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है। वहां बसों में चढ़ने के लिए भी यात्रियों की कतार लगती है।
द्रमुक सदस्य एन षणमुगम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना के 100 साल पूरे हो गए हैं और भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कुछ महत्वपूर्ण घोषणापत्रों की अभिपुष्टि नहीं की है जो देश के कामगारों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने मांग की कि इन महत्वपूर्ण घोषणापत्रों की अभिपुष्टि यथाशीाघ्र की जानी चाहिए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटस ने ‘‘कॉमन यूनिवर्सिटी एन्ट्रेन्स टेस्ट’’ (सीयूईटी) का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बिना किसी से परामर्श किए, यह निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि यूजीसी के अनुसार, इस अकादमिक वर्ष से स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी अनिवार्य होगा और इसमें बारहवीं कक्षा के अंकों को शामिल नहीं किया जाएगा।
ब्रिटस ने कहा कि जो गरीब छात्र भारी-भरकम शुल्क दे कर कोचिंग नहीं ले पाते, ऐसे में वे कैसे सीयूईटी दे पाएंगे।
उन्होंने सरकार से इस फैसले पर पुन:विचार करने की मांग की।
मनीषा ब्रजेन्द्र
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