नयी दिल्ली, 11 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में बिलकीस बानो से बलात्कार एवं उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों को सजा में दी गई छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 17 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा ट्रेन आगजनी के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकीस से बलात्कार करने एवं उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी। बिलकीस दुष्कर्म की इस घटना के वक्त 21 वर्ष की थीं और वह पांच माह से गर्भवती भी थीं।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ने और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि उसके नौ मई के आदेश के परिप्रेक्ष्य में गुजराती और अंग्रेजी के स्थानीय समाचार-पत्रों में उन दोषियों के संदर्भ में नोटिस प्रकाशित किये जा चुके हैं, जिन्हें यह तामिल नहीं हो सका था।
इसके बाद शीर्ष अदालत ने समयाभाव के कारण मामले की सुनवाई 17 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले उन दोषियों के खिलाफ स्थानीय समाचार-पत्रों में नोटिस जारी करने का आदेश दिया था, जिन्हें व्यक्तिगत तौर पर नोटिस तामिल नहीं हो सका था। इन दोषियों में एक ऐसा दोषी शामिल है, जिसके घर पर स्थानीय पुलिस को ताला लगा मिला था और उसका फोन भी बंद आ रहा था।
गुजरात सरकार ने बिलकीस के अलावा अन्य लोगों की ओर से याचिकाएं दायर करने को लेकर प्रारंभिक आपत्तियां दर्ज कराई थीं तथा कहा था कि इसका व्यापक परिणाम होगा तथा आपराधिक मामलों में हर बार कोई न कोई तीसरा पक्ष याचिका दायर कर देगा।
राज्य सरकार ने इस घटना के सभी 11 दोषियों को सजा में छूट देने का निर्णय लिया था तथा उन्हें 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया गया था।
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