कोटा में फंसे छात्रों की मदद को बिहार सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए: अदालत
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पटना, 28 अप्रैल पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बिहार सरकार को निर्देश दिया कि यदि राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों में से कोई भी राज्य सरकार से किसी भी तरह की मदद चाहे तो सरकार को उनका ध्यान रखना चाहिए।

न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर के मिश्रा की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस मामले में केंद्र के वकील के एक सप्ताह का समय मांगे जाने पर इसकी अगली सुनवाई की तारीख पांच मई निर्धारित की। पीठ ने कहा कि “इस बीच यदि कोई जरूरतमंद छात्र उनमें हेल्पलाइन नंबर पर (बिहार सरकार द्वारा स्थापित) मदद मांगता है तो बिहार सरकार को जरूरतमंद छात्रों की मदद सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।”

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि “यह हमारा (राज्य सरकार का) रुख रहा है, जिसे हमने हलफनामे में भी बताया है कि राज्य सरकार कोटा के मुद्दे पर बहुत संवेदनशील है। राज्य सरकार ने पहले ही एक हेल्पलाइन शुरू की है और जरूरतमंदों से कोई शिकायत या उनकी आवश्यकता पर, राज्य सरकार कोटा के अधिकारियों माध्यम उनकी मदद करेगी। ”

एक जनहित याचिका और कोटा में फंसे छात्रों के अभिभावकों द्वारा दायर तीन रिट याचिकाओं पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई की गयी।

उल्लेखनीय है कि गत 27 अप्रैल को कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बडी़ संख्या में पढ़ते हैं।

उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुरुप हम लोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी केन्द्रीय आपदा कानून के अनुसार अन्तर्राजीय आवागमन पर प्रतिबंध है। उन्होंने कहा कि जब तक नियमों में संशोधन नहीं होगा तब तक किसी को भी वापस बुलाना नियम संगत नहीं है।

नीतीश ने कहा कि केन्द्र सरकार इसके लिये आवश्यक दिशा निर्देश जारी करे।

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