देश की खबरें | भोपाल गैस त्रासदी : चार दशक बाद भी त्रासदी का दर्द और पीड़ा झेल रहे हैं बच्चे
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(अनिल दुबे)
भोपाल, दो दिसंबर भोपाल निवासी शारदा यादव का जीवन एक कमरे तक सीमित है, जहां वह अपने दो बेटों की देखभाल करती हैं, जिनकी उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच है और वे जन्मजात दिव्यांग हैं। यह विकार उनके पिता के 40 साल पहले यूनियन कार्बाइड के कारखाने से रिसी घातक गैस के संपर्क में आने से बच्चों में आया है।
शारदा यादव की तरह, यूनियन कार्बाइड के पूर्व कर्मचारी अब्दुल सईद खान भी जन्मजात दिव्यांगता के साथ पैदा हुए अपने जुड़वां बेटों के साथ रह रहे हैं।
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा के पीड़ितों में "जेनेटिक उत्परिवर्तन" के कारण बताया। यह त्रासदी तब हुई जब अमेरिकी फर्म के कीटनाशक संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस लीक हुई थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, जन्मजात विकारों को संरचनात्मक या कार्यात्मक विसंगतियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो अंतर्गर्भाशयी जीवन के दौरान होती हैं। इन्हें जन्म दोष, जन्मजात विसंगतियां या विकृतियां भी कहा जाता है, ये स्थितियां जन्म से पहले ही विकसित हो जाती हैं और जन्म से पहले अथवा जन्म के समय या जीवन में बाद में पहचानी जा सकती हैं।
ऐसे विकारों से पीड़ित बच्चे सेरेब्रल पाल्सी, बौद्धिक विकास संबंधी दिव्यांगता, डाउन सिंड्रोम और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी दिव्यांगता से पीड़ित होते हैं।
विकास (27) और अमन (25) की मां शारदा यादव ने सोमवार को 'पीटीआई-' को बताया कि उनके पति संजय गैस त्रासदी से बचे हैं।
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