देश की खबरें | परमाणु ऊर्जा विभाग के कर्मचारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करके 71 लाख रुपये से ज्यादा की ठगी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. इंदौर में परमाणु ऊर्जा विभाग के एक प्रमुख संस्थान के कर्मचारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने के नाम पर 71 लाख रुपये से ज्यादा का चूना लगाने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ शुक्रवार को मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।

इंदौर (मध्यप्रदेश), चार अक्टूबर इंदौर में परमाणु ऊर्जा विभाग के एक प्रमुख संस्थान के कर्मचारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने के नाम पर 71 लाख रुपये से ज्यादा का चूना लगाने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ शुक्रवार को मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।

‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि ठग गिरोह के एक सदस्य ने शहर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआर-कैट) के एक वैज्ञानिक सहायक को एक सितंबर को फोन किया और खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताया।

उन्होंने बताया, “ठग गिरोह के सदस्य ने आरआर-कैट कर्मचारी को झांसा दिया कि उसके नाम से दिल्ली से जारी सिम कार्ड के जरिये लोगों को गैरकानूनी विज्ञापन और महिला उत्पीड़न संबंधी टेक्स्ट मैसेज भेजे जा रहे हैं और उसके खिलाफ धन शोधन और मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तारी वॉरंट भी जारी हो चुका है।”

दंडोतिया ने बताया कि ठग गिरोह के अन्य सदस्य ने खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बताकर आरआर-कैट कर्मचारी और उसकी पत्नी से वीडियो कॉल के जरिये फर्जी पूछताछ की।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि इस पूछताछ के दौरान आरआर-कैट कर्मचारी को इतना धमकाया गया कि उसने डर के मारे अपनी जमा पूंजी के कुल 71.33 लाख रुपये ठग गिरोह के बताए अलग-अलग बैंक खातों में भेज दिए।

उन्होंने बताया, “ठग गिरोह के सदस्यों ने आरआर-कैट कर्मचारी को झांसा दिया कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस धन राशि की जांच की जाएगी और सब कुछ सही पाए जाने पर यह रकम उसके खाते में एक घंटे के भीतर वापस आ जाएगी।”

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि ठगी का अहसास होने पर आरआर-कैट कर्मचारी ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

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