नयी दिल्ली, 19 दिसंबर पिछले पांच सालों में मुस्लिम समुदाय से संबंधित पूजा स्थलों के सर्वेक्षण के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि ऐसे मामलों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को अदालतों के निर्देशों का पालन करना पड़ता है।
दरअसल, राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य साकेत गोखले ने केंद्र सरकार से पूछा था कि मुस्लिम समुदाय से संबंधित उन पूजा स्थलों का विवरण क्या है, जिनका सर्वेक्षण जनवरी 2019 से नवंबर 2024 के बीच किया गया है।
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि ऐसे कितने स्थानों का सर्वेक्षण किया गया है जिनके नीचे किसी अन्य धर्म से संबंधित पुराने पूजा स्थल के होने के ठोस सबूत मिले हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इन सवालों के लिखित जवाब में सिर्फ इतना कहा, ‘‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ऐसे मामलों में माननीय न्यायालयों के निर्देशों का पालन करता है।’’
एक अन्य सवाल में मंत्री से पूछा गया कि क्या यह सच है कि विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों ने सिंधु लिपि को समझने के लिए सैकड़ों प्रयास किए लेकिन उन्हें बहुत सफलता नहीं मिली और प्राचीन भारतीय समुदायों की उत्पत्ति को लेकर विरोधाभासी सिद्धांत नहीं मिले।
शेखावत ने कहा, ‘‘संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र अकादमिक परिचर्चाओं का आयोजन करता है, जिसमें सिंधु लिपि सहित अन्य लिपियां भी शामिल हैं। इसका पता लगाने के लिए विभिन्न विद्वानों के साथ बातचीत भी की जाती है। इन चर्चाओं से विशेषज्ञों के भिन्न-भिन्न विचार प्राप्त होते हैं, जो इन प्रयासों के परिणामस्वरूप होने वाले महत्वपूर्ण अर्थबोध के बावजूद इस कार्य की जटिलताओं को उजागर करते हैं।’’
उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार परस्पर विरोधी सिद्धांतों की समस्या के समाधान के लिए प्राचीन और आधुनिक जीनोमिक्स का उपयोग करके दक्षिण एशिया के जनसंख्या इतिहास की जांच करने के लिए एक वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने पर विचार कर रही है?
उन्होंने कहा, ‘‘परस्पर विरोधी सिद्धांतों की समस्या के समाधान के लिए जीनोमिक्स का उपयोग करके दक्षिण एशिया की जनसंख्या के इतिहास की जांच के लिए वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।’’
ब्रजेन्द्र
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इन सवालों के लिखित जवाब में सिर्फ इतना कहा, ‘‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ऐसे मामलों में माननीय न्यायालयों के निर्देशों का पालन करता है।’’
एक अन्य सवाल में मंत्री से पूछा गया कि क्या यह सच है कि विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों ने सिंधु लिपि को समझने के लिए सैकड़ों प्रयास किए लेकिन उन्हें बहुत सफलता नहीं मिली और प्राचीन भारतीय समुदायों की उत्पत्ति को लेकर विरोधाभासी सिद्धांत नहीं मिले।
शेखावत ने कहा, ‘‘संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र अकादमिक परिचर्चाओं का आयोजन करता है, जिसमें सिंधु लिपि सहित अन्य लिपियां भी शामिल हैं। इसका पता लगाने के लिए विभिन्न विद्वानों के साथ बातचीत भी की जाती है। इन चर्चाओं से विशेषज्ञों के भिन्न-भिन्न विचार प्राप्त होते हैं, जो इन प्रयासों के परिणामस्वरूप होने वाले महत्वपूर्ण अर्थबोध के बावजूद इस कार्य की जटिलताओं को उजागर करते हैं।’’
उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार परस्पर विरोधी सिद्धांतों की समस्या के समाधान के लिए प्राचीन और आधुनिक जीनोमिक्स का उपयोग करके दक्षिण एशिया के जनसंख्या इतिहास की जांच करने के लिए एक वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने पर विचार कर रही है?
उन्होंने कहा, ‘‘परस्पर विरोधी सिद्धांतों की समस्या के समाधान के लिए जीनोमिक्स का उपयोग करके दक्षिण एशिया की जनसंख्या के इतिहास की जांच के लिए वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।’’
ब्रजेन्द्र
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