देश की खबरें | राजद एमएलसी के निष्कासन में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया: बिहार विधान परिषद
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नयी दिल्ली, 29 जनवरी बिहार विधान परिषद ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि राजद के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सुनील कुमार सिंह को सदन से निष्कासित करने में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया था और वह वास्तव में परिषद के फैसले को चुनौती दे रहे हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पूर्व विधायक की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ को बताया कि वह पहले भी कदाचार में संलिप्त रहे हैं और उनके निष्कासन की सिफारिश करने वाले आचार समिति के फैसले पर सदन में समुचित ढंग से बहस हुई थी।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और गोपाल शंकरनारायणन ने बताया कि सिंह ने केवल इतना कहा था कि लोग कहते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ‘‘पलटूराम’’ हैं।
शंकरनारायणन ने कहा, ‘‘मैंने (सिंह) कभी नहीं कहा कि यह मेरा शब्द है, लेकिन लोग कहते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री ‘पलटूराम’ हैं। नियमों में क्रमिक दंड का प्रावधान है। मैंने आनुपातिकता के सिद्धांत के आधार पर रिपोर्ट पर सवाल उठाया है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘आप सदन के एक सम्मानित सदस्य हैं। आपको अपने बयानों में कुछ परिपक्वता दिखानी होगी। आपको उदाहरण पेश करना चाहिए और इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।’’
उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों से अगले तीन दिन में अपनी लिखित दलीलें पेश करने को कहा और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
बिहार विधान परिषद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ टिप्पणी के लिए सुनील कुमार सिंह को सदन से निष्कासित करने के अपने फैसले को उच्चतम न्यायालय में 16 जनवरी को सही ठहराया था।
इसने कहा कि सिंह ने आचार समिति के सदस्यों की क्षमता और ऐसी समिति के गठन के फैसले पर भी सवाल उठाया था।
कुमार ने दलील दी कि सिंह अपने मामले के एक अन्य राजद एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब के मामले के समान होने का दावा नहीं कर सकते, जिन्हें इसी तरह की टिप्पणी को लेकर दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि सोहैब ने आचार समिति की बैठकों में हिस्सा लिया था और आरोपों का जवाब दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को बिहार विधान परिषद की उस सीट के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित करने से रोक दिया था, जिसका प्रतिनिधित्व सदन से निष्कासित राजद नेता सिंह कर रहे थे।
सिंघवी ने कहा था कि इसी तरह की टिप्पणी करने वाले राजद के एक अन्य विधायक को केवल कुछ दिन के लिए निलंबित किया गया था।
सिंह को पिछले साल जुलाई में बिहार विधान परिषद में अनुचित आचरण के लिए सदन से निष्कासित कर दिया गया था।
राजद नेता लालू प्रसाद और उनके परिवार के करीबी समझे जाने वाले सिंह पर 13 फरवरी, 2024 को सदन में कहासुनी के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारे लगाने का आरोप था।
उच्चतम न्यायालय ने छह जनवरी को कहा था कि विधायकों को असंतोष जताते समय भी मर्यादित रहना चाहिए।
वर्ष 2024 में आचार समिति के बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपने के एक दिन बाद सदन से राजद एमएलसी के निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था।
आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पूछताछ के दौरान सोहैब ने अपनी टिप्पणी के लिए खेद व्यक्त किया था, लेकिन सिंह ने अड़ियल रुख बरकरार रखते हुए कोई अफसोस नहीं जाहिर किया था।
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