दिल्ली उच्च न्यायालय में दुष्टि बाधितों के लिए 50 रुपये का सिक्का जारी करने के लिए अर्जी दायर
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अर्जी देकर केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को 50 रुपये के सिक्के जारी करने संबंधी नीति बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि देश में दृष्टिबाधित नागरिकों को भी समान अवसर और व्यापार सुगमता प्राप्त हो सके.
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर : दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अर्जी देकर केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को 50 रुपये के सिक्के जारी करने संबंधी नीति बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि देश में दृष्टिबाधित नागरिकों को भी समान अवसर और व्यापार सुगमता प्राप्त हो सके. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 25 फरवरी 2022 की तरीख तय की है. लंबित याचिका में अर्जी दाखिल करते हुए अधिवक्ता रोहित दंडरियाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अधिकारियों को 50 रुपये की नयी मुद्रा को वापस लेने का निर्देश दे क्योंकि दुष्टिबाधितों को उसके आकार और स्पर्श कर पता चलने वाले निशानों की वजह से पहचानने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.
अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने कागजी मुद्रा की डिजाइन और विभिन्न मूल्यों को पता करने में दृष्टिबाधितों को होने वाली समस्या और असामनता का अध्ययन किया है. अर्जी में कहा गया, ‘‘प्रतिवादी (सरकार और आरबीआई) ने दृष्टिबाधितों के लाभ लिए कई योजनाए शुरू की हैं और 1,2, 5, 10 और 20 रुपये के सिक्के जारी किए हैं. वहीं, कागजी मुद्रा में 1,2,5,10,20,100,200,500 और 2000 रुपये मूल्य के नोट दृष्टिबाधितों के अनुकूल हैं जबकि 50 रुपये के नोट में ऐसा नहीं है और इस वर्ग के लोग 100 और 500 रुपये से अंतर नहीं कर पाते, इस मूल्य के सिक्के भी उपलब्ध नहीं है.’’ यह भी पढ़ें : शहरी गैस आपूर्ति के लिए लगी बोलियों से 80,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने इससे पहले सरकार और आरबीआई से नयी कागजी मुद्राओं और सिक्कों की जांच करने को कहा था. अदालत ने पाया कि दृष्टिबाधित उन्हें पहचानने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं.