देश की खबरें | अतिक्रमण रोधी अभियान : न्यायालय का ‘पीएम आवास योजना’ के तहत आवेदन का समय बढ़ाने से इनकार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात में रेलवे संपत्ति से अतिक्रमण हटाने के दौरान तोड़फोड़ की कार्रवाई से प्रभावित लोगों द्वारा ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत घर के आवंटन के लिए आवेदन करने की समय बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि 31 मार्च तक पर्याप्त समय है और ये लोग इंतजार नहीं करते रह सकते।

नयी दिल्ली, 21 मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात में रेलवे संपत्ति से अतिक्रमण हटाने के दौरान तोड़फोड़ की कार्रवाई से प्रभावित लोगों द्वारा ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत घर के आवंटन के लिए आवेदन करने की समय बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि 31 मार्च तक पर्याप्त समय है और ये लोग इंतजार नहीं करते रह सकते।

रेलवे संपत्ति से अतिक्रमण हटाने से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे न्यायालय ने कहा कि 31 मार्च की समयसीमा है और इसे बढ़ाने का कोई कारण नहीं है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ को बताया कि ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत आवंटन के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च है और 1,000 से अधिक प्रभावित व्यक्ति पहले ही आवेदन कर चुके हैं।

वकील ने अनुरोध किया कि यदि आवंटन के लिए आवेदन दाखिल करने की तारीख एक या दो हफ्ते के लिए बढ़ायी जा सकती है तो जो लगभग 500 लोग बचे हैं वे भी आवेदन कर सकते हैं।

संबंधित निगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हें 1,500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं और समय सीमा बढ़ाने का कोई कारण नहीं है और जो आवेदन करना चाहते हैं वे इसे 31 मार्च तक करें।

न्यायालय ने कहा, “समय सीमा 31 मार्च, 2022 तक है। हमें कोई कारण नहीं दिखता है कि इच्छुक व्यक्ति उस तिथि से पहले जरूरी काम करने की स्थिति में क्यों नहीं हैं। इसलिए अनुरोध खारिज कर दिया जाता है।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने पहले संबंधित अधिकारियों को रेलवे संपत्ति पर प्रभावित लोगों के ध्वस्त किए गए आवासीय ढांचे के बदले वैकल्पिक आवास के अनुदान के लिए उनके द्वारा दिए गए फॉर्म को 20 हजार रुपये जमा करने की पूर्व शर्त पर जोर दिए बिना स्वीकार करने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने एक हफ्ते के लिये समयसीमा को बढ़ाने का अनुरोध किया।

इस पर पीठ ने कहा, “एक सप्ताह का कोई सवाल नहीं। आखिरी आदेश 25 फरवरी को पारित किया गया था। इसे बढ़ाने का सवाल ही कहां है। हम इसे आगे नहीं बढ़ा सकते हैं”।

न्यायालय ने कहा,“यह विस्तार नहीं दिया जाएगा। काफी समय है। बेहतर होगा कि आप खुद को व्यवस्थित करें। पर्याप्त समय है। उन्हें तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है। वे इस तरह इंतजार नहीं कर सकते।”

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