कराची, सात जून पाकिस्तान में संभवत: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का समर्थन करने को लेकर यहां अपने निवास से अज्ञात हथियारबंद लोगों द्वारा अगवा किया गया एक और मशहूर टीवी पत्रकार सुरक्षित घर लौट आया। उसके परिवार ने यह जानकारी दी।
जब से नौ मई की अशांति का खान की गिरफ्तारी से संबंध होने की बात सामने आयी है तब से अदालतों में व्यक्तियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गुमशुदगी की कई शिकायतें एवं याचिकाएं दायर की गयी हैं। उन्हें हथियारबंद लोग जबरन अगवा कर रहे हैं।
सोमवार रात को पाकिस्तान के जियो न्यूज चैनल के कार्यकारी निर्माता जुबैर अंजुम को मलीर कॉलोनी इलाके में उनके घर से हथियारबंद लोग अगवा कर किसी अज्ञात स्थान पर ले गये थे। बुधवार को उनके भाई वजाहत ने बताया कि वह अब घर लौट आये हैं।
खबरों में वजाहत के हवाले से कहा गया, ‘‘ हथियारों समेत अधिकारी जुबैर के घर में घुस गये और वे उन्हें जबरन ले गये। उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार किया। ’’
कई मीडिया संस्थानों ने पत्रकार के कथित अपहरण की निंदा की और सरकार से पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के साथ इसका संज्ञान लेने को कहा कि पत्रकार की तत्काल सुरक्षित रिहाई हो।
वजाहत ने कहा, ‘‘वह अभी अभी सुरक्षित घर लौटे हैं।’’
इससे पहले मशहूर वकील एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिब्रान नसीर अपनी पत्नी मानसा पाशा के साथ घर लौट रहे थे तब अज्ञात व्यक्तियों ने उन्हें अगवा कर लिया था। जब उनकी गिरफ्तारी के विरोध में यहां दर्जनों प्रदर्शन हुए तब उन्हें रिहा किया गया।
इस बीच, जुबैर की खबर सामने आने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तारिक नवाज ने इस बात से इनकार किया कि पुलिस बल को इस बारे में कोई जानकारी है। उन्होंने कहा कि किसी भी थाने या इकाई ने इस पत्रकार को हिरासत में लेने की खबर नहीं दी है।
पिछले महीने इस्लामाबाद में अन्य पत्रकार सामी इब्राहिम को भी उनके घर से अगवा कर लिया गया था और बाद में वह सुरक्षित लौटे। हालांकि जाने माने टीवी प्रस्तोता, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के समर्थक इमरान रियाज खान की गुमशुदगी के बारे में अबतक कोई नयी खबर नहीं सामने आयी है।
नौ मई को खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में अशांति पैदा हो गयी थी तथा प्रदर्शनकारियों ने कई सैन्य एवं राजकीय प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाया था। इस हिंसा में कई लोगों की जान गयी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए गहरे दबाव में हैं क्योंकि दर्जनों नेताओं ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले में शामिल लोगों पर प्रशासनात्मक कार्रवाई के बाद पार्टी से किनारा कर लिया है।
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