नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर देश के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सूरजमुखी तेल का दाम अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बढ़ने की वजह से देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में सभी तेल-तिलहनों के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के पिछले सप्ताहांत जिस सूरजमुखी तेल का दाम 900-905 डॉलर प्रति टन था, वह बीते सप्ताह बढ़कर 935-940 डॉलर प्रति टन हो गया जिसका लगभग सभी तेल-तिलहनों की कीमतों पर अनुकूल असर हुआ। हालांकि, सूरजमुखी तेल के लगभग डेढ़ साल पहले के दाम (लगभग 2,500 डॉलर टन) को देखें, तो वह हालिया वृद्धि के बावजूद वह डेढ़ साल पहले के मुकाबले अब 935-940 डॉलर है यानी दाम में बड़ी गिरावट आ चुकी है। सूत्रों ने कहा कि खुदरा बाजार या मॉल में जाकर खुदरा दाम टटोलें तो दिल्ली-एनसीआर की प्रमुख दुग्ध कंपनी सहित कई अन्य दुकानों पर दाम 125-140 रुपये लीटर है जबकि मौजूदा कम कीमत को देखते हुए दाम 100-105 रुपये लीटर होना चाहिये था। सरकार को इस जमीनी हकीकत का खुद आकलन करवाना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह छोटे किसानों ने मजबूरीवश अपनी सोयाबीन फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बेचा और उनकी लागत निकालना मुश्किल हो गया। अगर दाम अच्छे या एमएसपी के आसपास मिलें तो पेराई मिलें भी चलेंगी और माल खपने के बाद किसान अगली बार फसल बुवाई में दिलचस्पी लेंगे। देशी तिलहनों के नहीं खपने के कारण पेराई मिलें भी नुकसान में हैं। इसके अलावा डी-आयल्ड केक (डीओसी) और तेल खल की भी कमी हो रही है जिसकी वजह से खल के दाम बढ़े हैं। किसानों ने अगर तिलहन खेती से मुंह मोड़कर मोटे अनाज का रुख कर लिया तो मौजूदा स्थिति का असर लगभग तीन चार साल में दिखेगा और खल की मांग को पूरा करना किसी के लिए भी मुश्किल हो जायेगा। खल के साथ-साथ दूध के दाम पिछले दिनों काफी बढ़े हैं जिसपर महंगाई की चिंता जताने वालों ने चुप्पी साध ली है।
सूत्रों ने कहा कि जब सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का दाम लगभग 1,150 डॉलर प्रति टन के आसपास हुआ करता था तब इस पर सरकार ने 38.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा रखा था लेकिन जब दाम बढ़ने लगे और बढ़कर 2,500 डॉलर प्रति टन हो गये तो सरकार ने आयात शुल्क घटाना शुरु कर दिया। लेकिन अब यही 2,500 डॉलर वाला दाम मौजूदा समय में घटकर लगभग 940 डॉलर के आसपास है तो इन तेलों पर आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत है। इसकी खोज खबर कौन लेगा ? इन सब बातों का असर तिलहन खेती पर अगले कुछ साल में होने का खतरा हो सकता है। बाद में इस शुल्क को बेशक बढ़ा दिया जाये लेकिन इससे किसानों के भरोसे को लौटाना काफी मुश्किल होगा।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 150 रुपये बढ़कर 5,775-5,825 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 10,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 40-40 रुपये का लाभ दर्शाता क्रमश: 1,820-1,915 रुपये और 1,820-1,930 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 300 रुपये और 350 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,900-5,000 रुपये प्रति क्विंटल और 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली तेल का भाव 275 रुपये के लाभ के साथ 10,025 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के दाम क्रमश: 230 रुपये और 250 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 9,880 रुपये और 8,350 रुपये रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में भी मजबूती रही। मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 300 रुपये, 600 रुपये और 100 रुपये मजबूत होकर क्रमश: 7,050-7,100 रुपये क्विंटल, 16,250 रुपये क्विंटल और 2,415-2,700 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम में सुधार आने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 100 रुपये की मजबूती के साथ 7,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 150 रुपये बढ़कर 9,300 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला का भाव 100 रुपये की तेजी के साथ 8,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 350 रुपये की मजबूती के साथ 8,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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