देश की खबरें | मंदिर-मस्जिद विवाद पर भागवत के बयान पर बोले अखिलेश : भाजपा को यह बात समझाएं संघ प्रमुख
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मस्जिदों और दरगाहों के नीचे मंदिर होने के दावों की आलोचना करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के हाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सोमवार को कहा कि भागवत को अपनी यह बात सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समझानी चाहिए।
इटावा, 23 दिसंबर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मस्जिदों और दरगाहों के नीचे मंदिर होने के दावों की आलोचना करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के हाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सोमवार को कहा कि भागवत को अपनी यह बात सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समझानी चाहिए।
अखिलेश ने कहा कि भागवत अगर मुख्यमंत्री को फोन कर दें, तो इस तरह का कोई विवाद नहीं होगा।
सपा प्रमुख ने भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती पर इटावा के हैवरा में आयोजित कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कई जगह मंदिर-मस्जिद का मुद्दे उठाए जाने पर भागवत की नाराजगी से जुड़े एक सवाल पर कहा, “संघ की विचारधारा भाजपा की ‘अंडरग्राउंड’ विचारधारा है। यह भाजपा के लिए सुरंग खोदने का काम करती है। इसलिए आज जो कुछ भी कहा जा रहा है, कम से कम उन्हें (भागवत को) यह भाजपा को समझाना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “अगर वह मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) को फोन भी कर दें, तो भी कोई सर्वे नहीं होगा और न ही ऐसा कोई विवाद उठेगा।”
अखिलेश ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ''लेकिन वह हर जगह राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। यह तमाम बयान इसलिए आ रहे हैं, क्योंकि वह राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं।”
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने संभल में एक पुराना मंदिर मिलने के बारे में पूछे जाने पर कहा, “वे (भाजपा नेता) ऐसे ही ढूंढते रहेंगे। खोदते-खोदते एक दिन अपनी सरकार को भी खोद देंगे।”
संभल में मस्जिद-मंदिर विवाद के बीच भागवत ने पिछले हफ्ते 'सहजीवन व्याख्यानमाला' में कहा था, “राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वह नयी जगह पर इसी तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है। हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है?”
उन्होंने यह भी कहा था, “भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं। हम लंबे समय से सद्भावना के साथ रहे हैं। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना देना चाहते हैं, तो हमें इसका मॉडल बनाने की जरूरत है।”
‘एक देश, एक चुनाव’ को 'असंभव' बताते हुए अखिलेश ने भाजपा पर आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे 'तानाशाही' के पक्षधर लोग संविधान नहीं, बल्कि 'मन विधान' से चलते हैं और वे लोकतंत्र को 'एकतंत्र' से चलाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “भाजपा जनहित में कोई काम नहीं करती। वह समाज में नफरत फैलाती है और भेदभाव करती है। भाजपा सरकार संविधान नहीं, मन विधान से चलती है। ये तानाशाही के पक्षधर लोग लोकतंत्र को एकतंत्र से चलाना चाहते हैं।”
अखिलेश ने चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज परिसर में सपा के संस्थापक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा का अनावरण भी किया।
उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, ''जो सत्ता में होता है, वह तानाशाह बन जाता है। रामायण में देखा गया कि रावण तानाशाह हो गया था। महाभारत के समय कंस और दुर्योधन राजा थे, वे तानाशाह बन गए थे। हम लोगों ने रामायण और महाभारत दोनों में पढ़ा है कि तानाशाह बहुत दिनों तक सत्ता में नहीं रह सकते हैं। अंत में तानाशाह को सत्ता से बाहर जाना ही पड़ता है।''
सपा प्रमुख ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ''सभी ने देखा कि लोकसभा में बाबा साहेब आंबेडकर के सम्मान में सभी दल एकजुट हो गए। लेकिन भाजपा के लोगों ने घटना को कैसे बदल दिया। जिन सांसदों को चोटिल बताया जा रहा है, उन्होंने बड़े-बड़े कलाकारों को मात दे दी है।''
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