देश की खबरें | दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’, स्थिति में थोड़ा सुधार होने की है उम्मीद
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नयी दिल्ली, पांच नवंबर राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता शुक्रवार सुबह ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में रही, जबकि सरकारी एजेंसियों ने कहा कि आगामी 24 घंटे में इसमें थोड़ा सुधार होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि पराली जलाने के मामलों में वृद्धि और हवा की गति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार सुबह प्रदूषण पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया था। इसमें पराली जलाने की हिस्सेदारी 42 फीसदी थी।
विशेषज्ञों ने बताया कि हवा की कम गति, तापमान में गिरावट जैसी मौसम की प्रतिकूल स्थितियों और पड़ोसी राज्यों से पराली जलाए जाने के बाद धुआं आने से बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा, लेकिन बाद में हवा की तेज गति की वजह से प्रदूषक तत्वों का बिखराव हुआ। जनवरी के बाद पहली बार बृहस्पतिवार को एक्यूआई ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंचा था।
दिल्ली का एक्यूआई सुबह 10 बजे 397 रहा। बृहस्पतिवार को 24 घंटे में औसत एक्यूआई 450 दर्ज किया गया, जो पिछले साल 15 नवंबर (458) से अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है।
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पड़ोसी शहरों फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और नोएडा में भी वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ से ‘‘गंभीर’’ दर्ज की गई।
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर सुबह 10 बजे 415 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो बृहस्पतिवार को 563 था। बृहस्पतिवार को पीएम 10 का स्तर पिछले साल 15 नवम्बर के बाद से सर्वाधिक है। उस समय यह 637 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था। भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पीएम 10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है।
वहीं पीएम 2.5 का स्तर सुबह 10 बजे कम होकर 229 माइक्रोगग्राम प्रति घन मीटर हो गया, जो बृहस्पतिवार दोपहर 12 बजे 360 माइक्रोगाम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था। देश में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पीएम 2.5 को सुरक्षित माना जाता है।
भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार शुक्रवार को वायु की अधिकतम गति 12 किलोमीटर प्रति घंटा रही और न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ठंडी हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषक जमीन के निकट रहे, लेकिन वायु की अनुकूल गति के कारण उनके बिखराव में मदद मिली।
आईएमडी के पर्यावरण निगरानी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने बताया कि वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार होने की उम्मीद है, लेकिन वह आगामी दो दिन तक ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में बना रहेगा।
दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने बताया कि पंजाब में बृहस्पतिवार को पराली जलाने की घटनाएं ‘‘बहुत अधिक’’ रहीं और इससे दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमोत्तर भारत के अन्य हिस्सों के प्रभावित होने का अनुमान है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र ‘सफर’ ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाओं में वृद्धि हुई और यह संख्या बुधवार को 4,135 थी, जो कि इस मौसम में सबसे ज्यादा है।
सफर ने कहा कि दिल्ली के पीएम 2.5 के कारण होने वाले प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बृहस्पतिवार को 42 प्रतिशत रही।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान वायु प्रदूषण राष्ट्रीय राजधानी के दो करोड़ निवासियों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का बड़ा विषय बन गया है।
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