असामान्य भ्रूण के गर्भपात की मांग कर रही महिला के मामले की जांच करे एम्स: अदालत

भ्रूण में विकसित हो रहे बच्चे में कई असामान्यताएं हैं जिनके चलते महिला गर्भपात कराना चाहती है।

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नयी दिल्ली, 15 अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को एक महिला की जांच करने का आदेश बुधवार को दिया जो अपने 23 हफ्ते के भ्रूण का गर्भपात कराना चाहती है।

भ्रूण में विकसित हो रहे बच्चे में कई असामान्यताएं हैं जिनके चलते महिला गर्भपात कराना चाहती है।

न्यायालय ने गर्भपात की प्रक्रिया में आने वाले खतरे पर अगले सप्ताह तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति जे आर मिढ़ा और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने महिला की याचिका पर निर्णय सुनाया जिसमें कहा गया था कि अल्ट्रासाउंड जांच में सामने आया कि भ्रूण में गंभीर चिकित्सीय समस्याएं हैं जिसके कारण जन्म के बाद बच्चे को कई प्रकार की सर्जरी से गुजरना पड़ सकता है।

याचिका में कहा गया था कि सर्जरी के बाद भी बच्चे के जीवित रहने की संभावना बहुत कम है और महिला तथा उसके पति ने विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद गर्भपात कराने का निश्चय किया।

अदालत ने एम्स के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार को भी नोटिस जारी कर मामले पर अपनी राय स्पष्ट करने को कहा है क्योंकि महिला की याचिका से गर्भपात कानून के उन प्रावधानों का भी उल्लंघन होता है जिनके अनुसार, 20 हफ्ते से अधिक के भ्रूण का गर्भपात तब तक नहीं कराया जा सकता जब तक कि उससे मां की जान को खतरा न हो।

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