देश की खबरें | अन्नाद्रमुक नेतृत्व मुद्दा: उच्च न्यायालय ने पनीरसेल्वम का निष्कासन रद्द किया

चेन्नई, 17 अगस्त मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को आदेश दिया कि ऑल इंडिया अन्‍ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) में 23 जून की यथास्थिति बनाये रखी जाएगी। अदालत ने 11 जुलाई की बैठक में ओ पनीरसेल्वम को पार्टी से निष्कासित करने तथा उनके प्रतिद्वंद्वी के पलानीस्वामी को पार्टी के अंतरिम महासचिव नियुक्त करने समेत सभी प्रस्तावों को अमान्य करार दिया है।

उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई को आयोजित की गई आम परिषद की बैठक के खिलाफ याचिकाओं पर यह फैसला दिया है।

अदालत ने प्रतिद्वंद्वी पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी के नेतृत्व वाले संबंधित समूहों को 23 जून की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया, जब आम सभा की अन्य बैठक हुई थी।

न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन ने यह भी कहा कि समन्वयक (पनीरसेल्वम) और संयुक्त समन्वयक पलानीस्वामी की संयुक्त सहमति के बिना कार्यकारी परिषद या आम परिषद की बैठक नहीं होगी। न्यायाधीश ने पनीरसेल्वम और आम परिषद के सदस्य पी वैरामुथु के दो दीवानी आवेदनों का निपटारा करते हुए ये निर्देश दिए।

एकल नेतृत्व बहाल करने के लिए पार्टी संविधान में बदलाव करने समेत पार्टी के मामलों को तय करने के वास्ते संयुक्त रूप से आम परिषद की बैठक बुलाने में दोनों के लिए कोई अड़चन नहीं होगी। अगर उचित आवेदन प्राप्त होता है, जिसमें आम परिषद की कुल सदस्य संख्या का कम से कम पांचवे भाग की सहमति है तो दोनों नेता बैठक बुलाने से इनकार नहीं कर सकते हैं।

ऐसे आग्रह पर , गुजारिश प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों के अंदर बैठक बुलाई जाएगी और लिखित रूप में 15 दिनों का नोटिस देने के बाद बैठक आयोजित की जाएगी। अगर, दोनों को किसी भी कारण से लगे कि आम परिषद की बैठक बुलाने के लिए और निर्देशों की जरूरत है या इसे आयोजित करने के लिए आयुक्त की सहायता की आवश्यकता है तो वे इस जरूरी राहत के लिए इस अदालत का रूख कर सकते हैं।

न्यायाधीश ने 11 जुलाई की आम परिषद बैठक और उसमें पारित किए गए प्रस्तावों को अमान्य करार देते हुए कई निर्देश दिए। इन प्रस्तावों के जरिए समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के पदों को खत्म कर दिया गया था, पनीरसेल्वम को कोषाध्यक्ष के पद से और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया तथा तमिल मगन हुसैन को स्थायी प्रेसीडियम अध्यक्ष तथा पलानीस्वामी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद ये सभी फैसले अमान्य हो गए।

पार्टी के संविधान और नियमों को पढ़ने के बाद न्यायमूर्ति जयचंद्रन ने 75 पन्नों के फैसले में कहा कि 11 जुलाई को आम परिषद की बैठक सक्षम व्यक्ति ने नहीं बुलाई थी। यह 15 दिन का नोटिस देने के बाद भी नहीं बुलाई गई थी। 23 जून के बाद समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के पद समाप्त होने की दलील काल्पनिक है।

उन्होंने कहा कि यह दलील अपनी सुविधा अनुसार और पार्टी के संविधान के उल्लंघन को छुपाने के लिए गढ़ी गई है।

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