देश की खबरें | कृषि अध्यादेश : पंजाब में किसानों ने प्रदर्शन किया, रास्ते रोके

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एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

चंडीगढ़, 14 सितंबर केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि अध्यादेश के खिलाफ पंजाब में किसानों ने सोमवार को जगह-जगह प्रदर्शन किया और अमृतसर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई सड़कों को बाधित कर दिया।

अलग-अलग किसान संगठनों ने कथित तौर पर किसान विरोधी अध्यादेश लाने के लिए केंद्र के खिलाफ नारेबाजी की और इसे वापस लेने की मांग की। हालांकि, इसकी वजह से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी हुई क्योंकि अधिकारियों ने कई स्थानों पर मार्ग परिवर्तित किया।

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किसान केंद्र से कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश-2020, मूल्य संबंधी भरोसा एवं कृषि सेवा के लिए किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

किसान मजदूर संघर्ष समिति के सदस्यों ने अमृतसर से करीब 40 किलोमीटर दूर ब्यास पुल पर अमृतसर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित कर दिया। उन्होंने होशियारपुर में हरगोबिंदपुर पुल पर और तरन-तारन के हरिके में भी यातायात बाधित कर दिया।

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किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि कृषि अध्यादेश कृषक समुदाय को ‘बर्बाद’ कर देगा इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए।

केन्द्र ने सोमवार को इन तीनों अध्यादेशों से जुड़े विधेयक लोकसभा में पेश किए। विपक्षी दलों का आरोप है कि नए कानून किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को प्राप्त सुरक्षा समाप्त हो जाएगी और बड़े कॉरपोरेट उनकी उपज अपनी मर्जी से खरीद सकेंगे।

आज दिन में पन्नू ने कहा था कि कृषि अध्यादेश किसान समुदाय को ‘‘बर्बाद’’ कर देगा, ऐसे में इसे वापस ले लेना चाहिए।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेसीसी)के बैनर तले किसानों ने पटियाला, मोगा, बरनाला, फगवाड़ा और अमृतसर में प्रदर्शन किया।

पटियाला में एआईकेसीसी के (पंजाब इकाई के) अध्यक्ष दर्शन पाल ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ आक्रोशित किसान सड़कों पर उतरे हैं।

पाल ने कहा कि अगर यह अध्यादेश पारित होता है तो किसान बड़े उद्योगों की ‘दया’ के भरोसे रह जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि कई किसान संगठन केंद्र द्वारा लाए गए तीन अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं।

किसानों ने आशंका जताई है कि इन तीन अध्यादेशों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को खत्म करने का रास्ता साफ होगा और वे बड़े उद्योगों की ‘दया’ पर निर्भर हो जाएंगे।

राज्य की कांग्रेस नीत सरकार का कहना है कि वह इन अध्यादेशों के खिलाफ जागरूकता फैला रही है क्योंकि ये अध्यादेश संघीय ढांचे पर ‘जोरदार हमला’ है।

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