मेक्सिको की सहमति के बाद कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती पर करार ‘नजदीक’
अमेरिका सहित कई अन्य देश शुक्रवार को अपना उत्पादन घटाने पर बात कर रहे थे। यदि यह करार होता है तो कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता लाने की दृष्टि से काफी ऐतिहासिक कदम होगा।
दुबई, 10 अप्रैल (एपी) तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक और रूस सहित अन्य तेल उत्पादक देशों के बीच कच्चे तेल की कीमतों में सुधार के लिए उत्पादन में प्रतिदिन एक करोड़ बैरल की कटौती करने पर सहमति बन गई है।
अमेरिका सहित कई अन्य देश शुक्रवार को अपना उत्पादन घटाने पर बात कर रहे थे। यदि यह करार होता है तो कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता लाने की दृष्टि से काफी ऐतिहासिक कदम होगा।
ओपेक और भागीदार देशों के बीच करार के तहत जुलाई तक कच्चे तेल के उत्पादन में प्रतिदिन एक करोड़ बैरल की कटौती की जाएगी। साल के अंत तक उत्पादन में 80 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती होगी। वर्ष 2021 की शुरुआत से 16 माह तक उत्पादन में 60 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की जाएगी।
शुरुआत में मेक्सिको ने इस करार में अड़चन डाली थी लेकिन अब मेक्सिको ने अपनी सहमति दे दी है।
मेक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रीज मैनुअल लोपेज ओब्रैडॉर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मेक्सिको उत्पादन में प्रतिदिन 1,00,000 बैरल की कटौती करेगा।’’ उन्होंने कहा कि ट्रंप ने उनसे संपर्क किया था।
ओपेक करार के तहत मेक्सिको को अपने उत्पादन में 4,00,000 बैरल प्रतिदिन की कटौती करनी थी। लेकिन मेक्सिको 1,00,000 बैरल प्रतिदिन की कटौती करना चाहता था।
लोपेज ने कहा कि ट्रंप ने इस बात पर सहमति दी है कि मेक्सिको की भरपाई के लिए अमेरिका अपने उत्पादन में 2,50,000 बैरल प्रतिदिन की कटौती करेगा।
इससे करार का रास्ता साफ हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादन कटौती अनुमानत: 1.5 करोड़ बैरल प्रतिदिन पर पहुंच सकती है जो वैश्विक उत्पादन का 15 प्रतिशत बैठेगा। यह कदम आकार और इसमें भागीदार देशों की संख्या दोनों के हिसाब से ऐतिहासिक होगा। इनमें से कई देश ऊर्जा क्षेत्र के प्रतिद्वंद्वी हैं।
इस साल की शुरुआत से कच्चे तेल का दाम करीब 50 प्रतिशत नीचे आ चुका है। हालांकि, यह उपभोक्ताओं की दृष्टि से अच्छा है लेकिन कई देशों और कंपनियों के लिए यह उत्पादन की लागत से कम हो गया है। इससे तेल उत्पादक राष्ट्रों के बजट पर दबाव बन गया है।
विश्लेषकों ने आगाह किया है कि प्रस्तावित कटौती के बावजूद दीर्घावधि में मांग में कमी की भरपाई हो पाना संभव नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में ऊर्जा की मांग में भारी गिरावट आई है।
एक बयान के मुताबिक ओपेक के महासचिव मोहम्मद बारकिंडो ने बैठक की शुरुआत में कहा, ‘‘कोविड-19 के कारण प्रत्येक क्षेत्र प्रभावित हैं। यह सभी के ऊपर बुरी छाया की तरह है। हम नहीं चाहते हैं कि यह छाया हमें ढंक दे। इसका पूरे उद्योग पर दीर्घकालिक प्रभाव होगा।’’
समझा जाता है कि और देश भी इस प्रयास में सहयोग देंगे। सऊदी अरब ने शुक्रवार को जी-20 समूह के ऊर्जा मंत्रियों की वर्चुअल बैठक की अगुवाई की। इस बैठक में बाजार में कच्चे तेल की जरूरत से अधिक आपूर्ति पर विचार किया गया। समझा जाता है कि इस बैठक से अमेरिका और कुछ अन्य देशों के साथ सहमति बन जाएगी।
रूस और ओपेक के बीच मार्च की शुरुआत में उत्पादन कटौती पर सहमति नहीं बनने की वजह से कच्चे तेल के बाजार में पहले ही अधिक आपूर्ति की स्थिति है।
इस बीच, वाशिंगटन से मिली खबरों के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि कच्चे तेल की गिरती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए रूस और सऊदी अरब समझौते के करीब हैं।
व्हाइट हाउस की ओर से रोजाना की जाने वाली प्रेसवार्ता के दौरान ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस संबंध में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान से डेढ़ घंटा टेलीफोन पर बात हुई।
एपी अजय
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