'लाल टोपी वाले गुंडे' के बयान के बाद समाजवादी समर्थकों में लाल टोपी का चलन बढ़ा, बिक्री में भी इजाफा
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के 'लाल टोपी वाले उप्र के लिये खतरा हैं' और 'लाल टोपी वाले गुंडे' वाले बयान का असर है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिये यह टोपी “बदलाव और क्रांति का प्रतीक बन गयी है” और इसी वजह से इसकी बिक्री में इजाफा हुआ है.
लखनऊ, 28 जनवरी : भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के 'लाल टोपी वाले उप्र के लिये खतरा हैं' और 'लाल टोपी वाले गुंडे' वाले बयान का असर है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिये यह टोपी “बदलाव और क्रांति का प्रतीक बन गयी है” और इसी वजह से इसकी बिक्री में इजाफा हुआ है. चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के नेता कार्यकर्ता अब अधिक से अधिक लाल टोपी पहन रहे हैं और इसी वजह से इसकी बिक्री में भारी इजाफा हुआ है.
समाजवादियों के लाल टोपी पहनने से दो बाते हो रही हैं एक तो वह बिना चुनाव आयोग की नजरों में आए पार्टी का प्रचार कर रहे हैं और दूसरे 'लाल टोपी वाले उप्र के लिये खतरा हैं' और 'लाल टोपी वाले गुंडे' वाले बयान का खामोश रहकर विरोध कर रहे हैं. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव द्वारा हमेशा लाल टोपी पहनने से यह समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह अब एक स्टेटस सिम्बल बन गया हैं. यह भी पढ़ें : अदालत ने सीबीआई को कारोबारी के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर को वापस लेने का निर्देश दिया
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधानपरिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने पीटीआई से कहा, ''आज गांव-गांव, गली-गली में सपा का हर नेता और कार्यकर्ता लाल टोपी लगाकर चुनाव प्रचार कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने समाजवाद के लाल रंग को 'उप्र के लिये खतरा' और लाल टोपी वाले गुंडे' के बयान के बाद अब पार्टी नेता और कार्यकर्ता प्रदेश में समाजवाद को वापस लाने और सरकार के बदलाव के लिए लाल टोपी पहन रहे हैं.''