जरुरी जानकारी | हाफेड के सरसों बिकवाली की निविदा मंगाने के बाद सभी तेल-तिलहन के दाम टूटे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख तथा सहकारी संस्था हाफेड द्वारा सरसों बिकवाली करने के लिए निविदा जारी करने के बाद देश की मंडियों में बृहस्पतिवार को सरसों सहित सभी तेल-तिलहनों के थोक भाव दबाव में आ गये और इनके दामों में चौतरफा गिरावट देखी गई। इस थोक कीमत में गिरावट का खुदरा बाजार में कोई खास असर नहीं दिखा और वहां कीमतें अपने ऊंचे भाव के आसपास बनी हुई हैं।

नयी दिल्ली, 30 मई विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख तथा सहकारी संस्था हाफेड द्वारा सरसों बिकवाली करने के लिए निविदा जारी करने के बाद देश की मंडियों में बृहस्पतिवार को सरसों सहित सभी तेल-तिलहनों के थोक भाव दबाव में आ गये और इनके दामों में चौतरफा गिरावट देखी गई। इस थोक कीमत में गिरावट का खुदरा बाजार में कोई खास असर नहीं दिखा और वहां कीमतें अपने ऊंचे भाव के आसपास बनी हुई हैं।

शिकॉगो एक्सचेंज रात तेज बंद हुआ था और फिलहाल यहां गिरावट है। मलेशिया एक्सचेंज में भी गिरावट है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि हाफेड द्वारा सरसों बिक्री के लिए जारी निविदा के लिए कल 5,400-5,500 रुपये की बोली लगाई गई जिसे कल रात ठुकरा दिया गया। आज भी निविदा के लिए 5,050-5,611 रुपये प्रति क्विंटल की बोली लगाई गई है जिसके बारे में रात तक फैसला लिया जायेगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को जल्दबाजी में तत्काल सरसों की बिक्री नहीं करनी चाहिये क्योंकि अभी किसानों के पास सरसों का काफी स्टॉक बचा हुआ है। सरसों का पिछले साल का भी स्टॉक है। सरकार को थोड़ा समय लेकर सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बिक्री करने के बारे में कोई फैसला करना चाहिये। हाफेड को बोली लगाने वालों के लिए निर्देश जारी करना चाहिये कि वे एमएसपी से कम दाम पर बोली न लगाएं। एमएसपी से कम दाम पर बेचने से उन किसानों की दिक्कत बढ़ जायेगी जिनके पास स्टॉक बचा है। कम दाम पर बिकवाली करने से तेल-तिलहन के मामले में बाजार धारणा के बिगड़ने का भरपूर खतरा है।

उन्होंने कहा कि अब भी आयातित खाद्य तेलों का भाव सरसों से लगभग 20 रुपये किलो नीचे है। ऐसे में सरसों के सामने खपने की दिक्कत बनी रहेगी। अन्य देशी तेल-तिलहन के समक्ष भी इसी तरह की दिक्कत है। ऐसे में सरकार को देशी तेल-तिलहनों के अनुकूल नीतियां बनाते हुए इनका बाजार विकसित करने पर पूरा ध्यान देना होगा तभी तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ सकता है। अगर अब हम चूके तो समस्या गंभीर होगी। हमें तेल-तिलहन के अलावा पशु आहार और मुर्गीदाने की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए खल और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की जरूरतें भी बढ़ेंगी। इस जरुरत को तिलहन उत्पादन बढ़ाकर ही आसानी से पूरा किया जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि अब सरसों के थोक भाव की घट-बढ़ का विशेष असर खुदरा भाव पर नहीं हो रहा है। सरसों के मामले में देखें तो जब इस वर्ष मार्च में मंडियों में सरसों का थोक भाव 4,800-4,900 रुपये क्विंटल था तो सरसों तेल का खुदरा दाम लगभग 140-145 रुपये लीटर था। लेकिन 8-10 दिन पहले जब सरसों का मंडियों में थोक भाव 5,500-5,600 रुपये क्विंटल था तो भी खुदरा में सरसों तेल का दाम 145-147 रुपये लीटर है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 6,000-6,050 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,880-1,980 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,880-1,995 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,900 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,820-4,840 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,620-4,740 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

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