रांची, 18 नवंबर मार्च 2020 से लेकर इस साल अक्टूबर तक दूसरे राज्यों से करीब 10 लाख प्रवासी कामगार झारखंड लौटे हैं और राज्य सरकार उनकी वेतन संबंधी समस्याओं तथा अन्य मुद्दों के समाधान के लिए कदम उठा रही है। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
बयान के अनुसार महामारी के कारण पिछले साल मार्च में लॉकडाउन की घोषणा के बाद दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों/कामगारों को वापस लाने में राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
बृहस्पतिवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘पहली बार झारखंड में राज्य सरकार श्रमिकों एवं कामगारों के मुद्दों को लेकर संवेदनशील नजरिए से काम कर रही है। 27 मार्च 2020 से 31 अक्टूबर 2021 तक कुल 9,66,393 श्रमिक झारखंड लौटे हैं।’’
विज्ञप्ति के अनुसार नियंत्रण कक्ष अब भी कामगारों की मदद में जुटा है। मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष लगातार इनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में काम कर रहा है। अब अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों एवं कामगारों को उनके घर लाने से लेकर उनके बकाया वेतन को दिलाने एवं अन्य समस्याओं के समाधान में मदद की जा रही है।
इसके अनुसार राज्य सरकार के प्रयास से कामगारों को बकाया वेतन और मुआवजा के मद में 84,84,647 रुपए दिलाये गए। सरकार ने अन्य राज्यों एवं देशों से कामगारों को लाने के लिए बसों, ट्रेनों और विमानों का इंतजाम किया। विज्ञप्ति के अनुसार पिछले लगभग डेढ़ वर्षों में गिरिडीह के सबसे ज्यादा 158,652 कामगार अन्य राज्यों से लौटे।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसी प्रकार पलामू जिले के 1,09,438 कामगार, गढ़वा के 78,539, हजारीबाग के 78,414 कामगार, गोड्डा के 69,752 कामगार, कोडरमा के 42,932 कामगार, पश्चिमी सिंहभूम के 36,293 कामगार, बोकारो के 35,455 कामगार, चतरा के 35,317 कामगार देश के विभिन्न हिस्सों से राज्य वापस आए हैं।
विज्ञप्ति के मुताबिक पिछले लगभग दो साल में महामारी के कारण फंसे इन श्रमिकों और कामगारों को काफी कठिन हालात का सामना करना पड़ा है।
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