नयी दिल्ली, 17 मई दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी को 2020 में एक छात्र को चोट पहुंचाने के मामले में ‘‘अदालत के उठने’’ तक अदालत कक्ष में उपस्थित रहने की सजा सुनाई।
‘अदालत के उठने’ तक की सजा, एक दोषी व्यक्ति को दी जाने वाली नाममात्र की सजा है, जिसके तहत दोषी अदालती कार्रवाई के समाप्त होने तक बाहर नहीं जा सकता है।
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने यह कहते हुए आदेश सुनाया कि दोषी की ‘‘समाज में गहरी जड़ें हैं’’ और वह ‘‘समाज के लिए खतरा नहीं’’ है।
न्यायाधीश ने त्रिपाठी पर 30,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसमें से 6,500 रुपये अभियोजन पक्ष द्वारा खर्च की गई कार्यवाही की लागत के रूप में जमा किए जाएंगे और शेष राशि पीड़ित संजीव कुमार को मुआवजे के रूप में दी जाएगी।
अदालत ने 25 मार्च को त्रिपाठी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया था। इस अपराध के तहत अधिकतम एक साल सजा के कावारास की सजा का प्रावधान है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, प्राथमिकी फरवरी 2020 में एक छात्र की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसने दावा किया था कि सात फरवरी, 2020 को जब वह घर जा रहा था, तब आरोपी ने झंडेवालान चौक पर उसकी पिटाई की थी।
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