विदेश की खबरें | पृथ्वी की कक्षा में 4300 टन अंतरिक्ष कचरा, एक और उपग्रह के टूटने से हुई और वृद्धि
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. मेलबर्न, 23 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) एक बड़ा संचार उपग्रह अपनी कक्षा में टूट गया है, जिससे यूरोप, मध्य अफ्रीका, मध्य पूर्व, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उपयोगकर्ता प्रभावित हुए हैं, वहीं हमारे ग्रह के पड़ोस में अंतरिक्ष कचरे के खतरे में भी इजाफा हुआ है।
मेलबर्न, 23 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) एक बड़ा संचार उपग्रह अपनी कक्षा में टूट गया है, जिससे यूरोप, मध्य अफ्रीका, मध्य पूर्व, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उपयोगकर्ता प्रभावित हुए हैं, वहीं हमारे ग्रह के पड़ोस में अंतरिक्ष कचरे के खतरे में भी इजाफा हुआ है।
इंटेलसैट 33ई उपग्रह भूमध्य रेखा के चारों ओर भूस्थिर कक्षा में हिंद महासागर से लगभग 35,000 किलामीटर ऊपर एक बिंदु से ब्रॉडबैंड संचार प्रदान करता था। बीस अक्टूबर को प्रारंभिक खबरों में कहा गया था कि इंटेलसैट 33ई की अचानक बिजली गुल हो गई है। कुछ घंटे बाद, यूएस स्पेस फोर्सेस-स्पेस ने पुष्टि की कि उपग्रह कम से कम 20 टुकड़ों में टूट गया है।
तो क्या हुआ? और क्या यह आने वाली घटनाओं का संकेत है क्योंकि अधिक से अधिक उपग्रह कक्षा में प्रवेश कर रहे हैं?
एक अंतरिक्ष रहस्य
इंटेलसैट 33ई के टूटने के कारणों के बारे में कोई पुष्ट खबर नहीं है। हालांकि, यह अपनी तरह की पहली घटना नहीं है।
अतीत में हमने उपग्रहों को नष्ट होते, आकस्मिक टकराव और बढ़ी हुई सौर गतिविधि के कारण उपग्रहों को नष्ट होते देखा है।
हम यह जानते हैं कि इंटेलसैट 33ई में दिक्कतें उत्पन्न होने का इतिहास रहा है। बोइंग द्वारा डिजाइन और निर्मित, उपग्रह को अगस्त 2016 में प्रक्षेपित किया गया था। वर्ष 2017 में, उपग्रह अपने प्राथमिक ‘थ्रस्टर’ के साथ एक कथित समस्या के कारण, जो इसकी ऊंचाई और चाल को नियंत्रित करता है, अनुमानित समय से तीन महीने बाद अपनी कक्षा में पहुंचा।
‘‘स्टेशन कीपिंग एक्टिविटी’’ के दौरान भी उपग्रह में प्रणोदन संबंधी समस्याएं सामने आईं, जो इसे सही ऊंचाई पर रखती हैं। इसमें अपेक्षा से अधिक ईंधन की खपत हो रही है जिसका मतलब है कि इसका मिशन लगभग 3.5 साल पहले, 2027 में समाप्त हो जाएगा। इन समस्याओं के परिणामस्वरूप इंटेलसैट ने 7.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर का बीमा दावा दायर किया।
हालांकि, इसके टूटने के समय, उपग्रह का कथित तौर पर बीमा नहीं किया गया था।
इंटेलसैट जांच कर रहा है कि क्या गलत हुआ, लेकिन शायद हम कभी नहीं जान पाएंगे कि उपग्रह के टुकड़े होने का कारण क्या था। हम जानते हैं कि उसी मॉडल का एक और इंटेलसैट उपग्रह, बोइंग द्वारा निर्मित एपिकएनजी 702 एमपी, 2019 में विफल हो गया था। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम टूटने के बाद के परिणामों से सीख सकते हैं: अंतरिक्ष कचरा।
तीस ब्लू व्हेल जितना अंतरिक्ष कचरा
पृथ्वी की कक्षा में मानव निर्मित अंतरिक्ष वस्तुओं का कुल द्रव्यमान लगभग 13,000 टन है। यह लगभग 90 वयस्क नर ब्लू व्हेल के बराबर है। लगभग एक तिहाई कचरा (4,300 टन) है, जो ज़्यादातर बचे हुए रॉकेट के हिस्सों के रूप में है।
अंतरिक्ष कचरे का पता लगाना और पहचान करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। अधिक ऊंचाई पर, जैसे इंटेलसैट 33ई की कक्षा लगभग 35,000 किलोमीटर ऊपर है, हम केवल एक निश्चित आकार से ऊपर की वस्तुओं को ही देख सकते हैं।
इंटेलसैट 33ई की क्षति के बारे में सबसे चिंताजनक बातों में से एक यह है कि टूटने से कचरे के इतने छोटे हिस्से बने होंगे कि हम उसे मौजूदा सुविधाओं के साथ नहीं देख पाएंगे।
पिछले कुछ महीनों में कक्षा में निष्क्रिय और परित्यक्त वस्तुओं के अनियंत्रित होकर टूटने की कई घटनाएं देखी गई हैं।
अभी तक यह ज्ञात नहीं है कि हालिया घटना कक्षा में अन्य वस्तुओं को प्रभावित करेगी या नहीं। यहीं पर इन जटिल अंतरिक्ष मलबे के वातावरण को समझने के लिए आकाश की निरंतर निगरानी महत्वपूर्ण हो जाती है।
कौन जिम्मेदार है?
जब अंतरिक्ष मलबा बनता है, तो उसे साफ करने या उसकी निगरानी की जिम्मेदारी किसकी होती है?
सैद्धांतिक रूप में, जिस देश ने वस्तु को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया, उसकी जिम्मेदारी होती है, जब दोष साबित हो सकता है। अंतरिक्ष वस्तुओं द्वारा होने वाली क्षति के लिए अंतररराष्ट्रीय दायित्व संधि, 1972 में इस पर ध्यान दिया गया था।
व्यवहार में, अक्सर बहुत कम जवाबदेही होती है। अंतरिक्ष मलबे पर पहला जुर्माना 2023 में यूएस फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन द्वारा जारी किया गया था।
यह स्पष्ट नहीं है कि इंटेलसैट 33ई के मामले में भी ऐसा ही जुर्माना लगाया जाएगा या नहीं।
भविष्य
जैसे-जैसे अंतरिक्ष का मानवीय उपयोग बढ़ता जा रहा है, पृथ्वी की कक्षा में सघनता बढ़ती जा रही है। कक्षीय कचरे के खतरों को प्रबंधित करने के लिए, कचरे की मात्रा को कम करने के लिए हमें विभिन्न प्रयासों के साथ-साथ निरंतर निगरानी और बेहतर ट्रैकिंग तकनीक की आवश्यकता होगी।
(द कन्वरसेशन)
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