रूस से समझौता खत्म होने के बाद यूक्रेन में बिछी गैस पाइपलाइन का क्या होगा?
यूरोपीय संघ, रूस से यूरोप में होने वाली गैस की आपूर्ति कम करने के लिए अजरबाइजान से बातचीत कर रहा है.
यूरोपीय संघ, रूस से यूरोप में होने वाली गैस की आपूर्ति कम करने के लिए अजरबाइजान से बातचीत कर रहा है. हालांकि, कुछ लोगों को इस बात पर शक है कि यूक्रेन के रास्ते गैस लाना संभव होगा.यूक्रेन में हजारों किलोमीटर लंबी भूमिगत पाइपलाइनें बिछी हैं, जिनकी मदद से रूसी प्राकृतिक गैस को पश्चिमी यूरोप तक लाया जाता है. यूक्रेन युद्ध से पहले, सोवियत काल में बिछी इन पाइपलाइनों के जरिए हर साल करीब 150 बिलियन घन मीटर (बीसीएम) प्राकृतिक गैस लाई जाती थी.
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यूरोपीय संघ (ईयू) के देशों ने रूसी जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम कर दी. वहीं, रूस ने यूक्रेन की पाइपलाइनों के जरिए गैस की आपूर्ति को कम करके 40 बीसीएम तक पहुंचा दिया. पिछले साल यह आपूर्ति और ज्यादा कम होकर करीब 15 बीसीएम तक पहुंच गई.
रूस की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी गाजप्रोम और यूक्रेन के बीच पाइपलाइन के जरिए गैस भेजने का समझौता 2019 में हुआ था और यह इस साल के अंत में खत्म हो रहा है. यह समझौता रूस और यूक्रेन के बीच बचा हुआ एकमात्र कारोबारी और राजनीतिक समझौता है.
समझौते को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है रूस
यूक्रेन और ईयू ने एक नए समझौते की संभावना को कम कर दिया है. संघर्ष के कारण रूस और यूक्रेन के बीच राजनयिक संबंध टूट गए हैं. ईयू ने कहा कि ऑस्ट्रिया, स्लोवाकिया, हंगरी और इटली जैसे ब्लॉक के सदस्य यूक्रेन के रास्ते आने वाली रूसी गैस पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं. अब ये देश लिक्विफाइड नेचुरल गैस का आयात बढ़ा सकते हैं या ईयू में मौजूद अन्य पाइपलाइनों के जरिए गैस हासिल कर सकते हैं. वहीं, रूस ने हाल ही में कहा कि वह इस समझौते को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है.
रूसी समाचार एजेंसियों ने देश के उप-प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक के हवाले से कहा, "यह यूक्रेन पर निर्भर करता है कि उसके क्षेत्र के जरिए गैस की आपूर्ति होगी या नहीं. उनके अपने स्थापित नियम हैं. यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है. रूस गैस की आपूर्ति के लिए तैयार है."
इधर प्राकृतिक गैस के आयात को बढ़ाने के लिए ईयू ने अजरबाइजान के साथ बातचीत शुरू कर दी है. संभावना जताई जा रही है कि यूक्रेन की पाइपलाइनों के जरिए यह गैस लाई जा सकती है. इससे ऊर्जा को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने वाले देश के तौर पर यूक्रेन की भूमिका बनी रहेगी.
युद्ध में भी यूक्रेन के रास्ते बड़े स्तर पर हो रही है रूसी गैस आपूर्ति
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले साल में अजरबाइजान से यूरोप भेजी जाने वाली गैस में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. 2027 तक इसे दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है. अगर इस निर्यात में वृद्धि जारी रहती है, तो 2024 के अंत तक यूरोप में कुल 12.8 बीसीएम गैस की आपूर्ति हो सकती है.
अजरबाइजान के राष्ट्रपति के सलाहकार हिकमत हाजीयेव ने जून 2024 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया था कि ईयू और यूक्रेन, दोनों ने अजरबाइजान को रूस के साथ बातचीत करने के लिए कहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ब्लूमबर्ग को दिए एक हालिया इंटरव्यू में पुष्टि की थी कि बातचीत चल रही है.
क्या अजरबाइजान के साथ समझौता संभव है?
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर में होने वाले कॉप 29 जलवायु सम्मेलन की मेजबानी कर रहे अजरबाइजान के पास फिलहाल इतना गैस नहीं है कि वह कुछ समय के लिए यूरोप को और ज्यादा आपूर्ति कर सके. सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस (सीईपीए) में नॉन-रेजिडेंट सीनियर फेलो ऑरा सबाडस ने डीडब्ल्यू को बताया, "अजरबाइजान का गैस उत्पादन काफी ज्यादा नहीं है. देश में घरेलू आपूर्ति के लिए ही बहुत गैस की जरूरत है. साथ ही, यह देश पहले से ही जॉर्जिया, तुर्की और यूरोप को गैस निर्यात कर रहा है."
विशेषज्ञों का कहना है कि अजरबाइजान की सरकार को गैस निर्यात की क्षमता बढ़ाने के लिए समय और बड़े निवेश की जरूरत होगी. इस बीच, ईयू के देश जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं. प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा के क्रम में यह बड़ी जरूरत है. ऐसे में ईयू दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं हो सकता है.
यूक्रेन स्थित 'नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज' में ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के विशेषज्ञ ओलेक्सांद्र सुखोडोलिया ने डीडब्ल्यू को बताया, "अजरबाइजान के साथ समझौता होने पर यूक्रेन को यूरोप में बड़ी मात्रा में गैस भेजने में मदद मिलेगी. यूक्रेन पहले से ही गैस के अपने कारोबार को यूरोपीय बाजार के साथ जोड़ने में लगा है."
इस बीच, सबाडस का मानना है कि अजरबाइजान की गैस को तुर्की, मोल्दोवा और रोमानिया के जरिए रूस के दक्षिणी हिस्से में मौजूद पाइपलाइन से भेजने की जरूरत होगी. इसकी वजह यह है कि अजरबाइजान की सीमा यूक्रेन के साथ नहीं मिलती है. सबाडस ने डीडब्ल्यू को बताया कि दक्षिणी पाइपलाइनों के जरिए गैस भेजने में काफी ज्यादा लागत आएगी. ऐसे में इस पाइपलाइन रूट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
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अजरबाइजान और यूक्रेन के बीच समझौता कैसे हो सकता है?
इस स्थिति में एक विकल्प यह है कि अजरबाइजान की गैस की आपूर्ति करने वाली कंपनियां रूस के जरिए अपनी गैस बेचें. इससे रूसी सरकार की स्वामित्व वाली कंपनी गाजप्रोम और अन्य रूसी कंपनियों को गैस सप्लाई रूट से मुनाफा होगा.
इस साल की शुरुआत में गाजप्रोम ने बताया कि उसे 1999 के बाद पहली बार घाटा हुआ है, क्योंकि यूरोप भेजी जाने वाली गैस की आपूर्ति में काफी कमी आई है. कंपनी चीन और तुर्की के साथ समझौते के जरिए इस नुकसान की भरपाई की कोशिश कर रही है.
यूक्रेन में यूरोप की सबसे बड़ी भूमिगत गैस भंडारण सुविधाएं हैं, जो ज्यादातर देश के पश्चिमी हिस्से में स्थित हैं. युद्ध से पहले यूक्रेन ने रूस से यह अनुमति मांगी थी कि वह अजरबाइजान और तुर्कमेनिस्तान से यूरोप तक गैस भेजने दे. हालांकि, रूस ने यह अनुमति नहीं दी. इसलिए इस रास्ते से गैस की आपूर्ति पर संदेह बना हुआ है.
सबाडस ने कहा, "इस बात की संभावना काफी कम है कि रूस अपने पड़ोसी देशों से आने वाली गैस के लिए अपनी सीमाएं खोलेगा, क्योंकि इसका मतलब होगा कि वह अपने ट्रांसमिशन सिस्टम पर नियंत्रण खो देगा, जिसे एक रणनीतिक संपत्ति माना जाता है."
अजरबाइजान पहले से ही रूस और तुर्कमेनिस्तान से कुछ गैस आयात करता है. आलोचक कहते हैं कि इससे रूस की गैस को पीछे के दरवाजे से यूरोप को फिर से बेचने की अनुमति मिल जाती है. हालांकि, अजरबाइजान इस आरोप को पूरी तरह खारिज करता है. इसके अलावा एक और विकल्प बचता है, गैस की अदला-बदली. इसके तहत, रूस और अजरबाइजानन गैस का आदान-प्रदान कर सकते हैं और फिर उन्हें निर्यात कर सकते हैं.
सबाडस ने कहा, "इस समझौते के तहत रूस-यूक्रेन सीमा पर अजरबाइजान को रूसी गैस बेचा जाएगा. वहां से इसे यूक्रेन के रास्ते यूरोप पहुंचाया जा सकता है. हालांकि, यूरोप के खरीददारों के लिए यह बहुत बड़ा खतरा माना जा सकता है क्योंकि यूक्रेनी पाइपलाइनें अब भी रूस के निशाने पर हैं."
यूक्रेन की पाइपलाइनें कितनी लाभदायक हैं?
यूक्रेन को 2021 में अपनी पाइपलाइनों के जरिए रूसी गैस की सप्लाई के लिए शुल्क के तौर पर करीब एक अरब डॉलर मिले. हालांकि, युद्ध शुरू होने के बाद से यूरोप भेजी जाने वाली गैस की आपूर्ति कम होने की वजह से यह आंकड़ा घटकर करीब 70 करोड़ डॉलर प्रति वर्ष तक पहुंच गया है. सुखोडोलिया कहते हैं, "गैस की कम आपूर्ति होने पर यह यूक्रेन के लिए उतना लाभदायक नहीं है."
पाइपलाइन के इस्तेमाल के लिए मिलने वाले शुल्क का बड़ा हिस्सा पाइपलाइन के रखरखाव सहित परिचालन से जुड़ी लागतों के लिए आवंटित किया जाता है. ऐसे में कोई भी नया समझौता यूक्रेन के लिए तब फायदेमंद साबित होगा, जब बड़ी मात्रा में गैस की आपूर्ति की जाएगी. सबाडस कहते हैं, "यूक्रेन अपनी पाइपलाइन के इस्तेमाल से कमाई तब कर सकेगा, जब बड़ी मात्रा में गैस आपूर्ति के लिए समझौता किया जाएगा."