US पाकिस्तान पर करने जा रहा है एक और एहसान, सेना को देगा 865 करोड़ रुपये, भारत ने जताई चिंता

भारत ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता दिए जाने के अमेरिका के फैसले पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि यहां अमेरिकी राजदूत और वाशिंगटन में ट्रंप प्रशासन के समक्ष इस मुद्दे को उठाया गया.

इमरान खान और डोनाल्ड ट्रंप (Photo Credits: AFP)

नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान (Pakistan) को सैन्य सहायता दिए जाने के अमेरिका (US) के फैसले पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि यहां अमेरिकी राजदूत और वाशिंगटन में ट्रंप प्रशासन के समक्ष इस मुद्दे को उठाया गया.

कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने दिल्ली में अमेरिकी राजदूत के साथ ही वाशिंगटन में भी अपने राजदूत के जरिए अमेरिकी सरकार के समक्ष इस मामले को उठाया है. हमने पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा सैन्य सहायता देने पर गंभीर चिंता जताई है.’’

सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी राजदूत को साउथ ब्लॉक बुलाया गया और पाकिस्तान सेना की मदद करने के अमेरिका के फैसले पर उनके समक्ष विरोध दर्ज कराया गया.

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पेंटागन ने पिछले सप्ताह कांग्रेस को सूचित किया गया था कि उसने 12 करोड़ 50 लाख डॉलर की सैन्य बिक्री की मंजूरी दी है जिससे पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों की निगरानी की जाएगी.

यह सूचना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच व्हाइट हाउस में हुई बैठक के बाद दी गई.

कुमार ने कहा, ‘‘अमेरिका ने हमसे कहा है कि प्रस्तावित बिक्री से पाकिस्तान को सैन्य सहायता रोके रखने की अमेरिका की नीति में कोई बदलाव दिखाई नहीं देता.’’

उन्होंने कहा, ‘‘’अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि प्रस्तावित बिक्री का उद्देश्य अमेरिका को तकनीकी और साजो-सामान सेवाएं जारी रखने में सक्षम बनाना है ताकि पाकिस्तान की एफ-16 विमानों की इन्वेंट्री के संचालन की निगरानी में सहायता की जा सके.’’

पाकिस्तान ने फरवरी में बालाकोट हवाई हमले की जवाबी कार्रवाई में भारत के खिलाफ एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था.

भारत और अमेरिका के बीच उद्योग संबंधों में तनाव के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘‘हम बेहद सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से उद्योग से संबंधित मामले में आगे बढ़ रहे हैं.’’

अमेरिका से एक उच्च स्तरीय उद्योग प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे को हल करने के रास्ते खोजने के लिए पिछले महीने भारत आया था.

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