भारत और इंडोनेशिया के भरोसे रहेगी दुनिया की विकास दर
2024 में दुनिया की अर्थव्यवस्था ने मंदी से बचे रहकर स्थिरता दिखाई है जो 2025 में भी जारी रहेगी.
2024 में दुनिया की अर्थव्यवस्था ने मंदी से बचे रहकर स्थिरता दिखाई है जो 2025 में भी जारी रहेगी. इसमें भारत और इंडोनेशिया की भूमिका सबसे अहम होगी.संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था ने युद्धों, महंगाई और संरचनात्मक चुनौतियों के बीच लगातार मजबूती दिखाई है. रिपोर्ट का नाम "वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स 2025" है. इसमें 2025 के लिए वैश्विक वृद्धि दर 2.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो 2024 के बराबर है. लेकिन यह वृद्धि मुख्यतया भारत और इंडोनेशिया पर निर्भर रहेगी जो इस साल 6 फीसदी से ज्यादा की दर से आगे बढ़ेंगे.
2.8 फीसदी की यह वृद्धि दर महामारी से पहले (2010-2019) के औसत 3.2 फीसदी से कम है. हालांकि, विशेषज्ञों ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने बड़े पैमाने पर मंदी से बचने में सफलता पाई है. संयुक्त राष्ट्र के शांतनु मुखर्जी ने इसे "स्थिर लेकिन औसत दर्जे की वृद्धि" बताया. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एक मजबूत इंजन की तरह है, जो धीमी गति से चल रहा है. इस गति की राह में कई बड़ी चुनौतियां हैं.
क्षेत्रीय योगदान
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और चीन की धीमी लेकिन सकारात्मक प्रगति, भारत और इंडोनेशिया का मजबूत प्रदर्शन और यूरोप, जापान व ब्रिटेन में धीमी रिकवरी से वैश्विक विकास को सहारा मिला है.
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका, ने 2024 में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया. मजबूत उपभोक्ता खर्च और सरकारी योजनाओं ने इसे बढ़ावा दिया. लेकिन 2025 में इसकी वृद्धि दर 1.9 फीसदी तक गिरने का अनुमान है.
चीन की वृद्धि दर 2024 के 4.9 फीसदी से घटकर 2025 में 4.8 फीसदी रहने की संभावना है. इसकी वजह घरेलू मांग में कमी और प्रॉपर्टी सेक्टर की समस्याएं हैं. जनसंख्या घटने और व्यापार-तकनीकी विवादों जैसे मुद्दे भी चीन की दीर्घकालिक वृद्धि के लिए चुनौती बन सकते हैं.
दक्षिण एशिया और भारत
रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि दक्षिण एशिया 2025 में 5.7 फीसदी की वृद्धि दर के साथ दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र रहेगा. भारत 2025 में 6.6 फीसदी की वृद्धि करेगा. मजबूत उपभोक्ता खर्च और निवेश इसके पीछे की वजह हैं. रिपोर्ट में भारत को क्षेत्रीय वृद्धि और गरीबी उन्मूलन में अहम बताया गया है. हालांकि भारत की विकास दर भी धीमी पड़ रही है और पिछले साल के मुकाबले उसका अनुमान घट गया है.
यूरोपीय संघ (ईयू) की वृद्धि दर 2024 के 0.9 फीसदी से बढ़कर 2025 में 1.3 फीसदी हो सकती है. जापान और ब्रिटेन में भी धीमी लेकिन सकारात्मक रिकवरी का अनुमान है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि धीमी निवेश दर, उत्पादकता में गिरावट, कर्ज और जनसांख्यिकीय दबाव जैसे मुद्दे वैश्विक वृद्धि को धीमा कर रहे हैं. हालांकि, 2024 की 4 फीसदी महंगाई दर 2025 में घटकर 3.4 फीसदी हो सकती है. इससे परिवारों और कारोबारों को राहत मिलेगी.
केंद्रीय बैंक 2025 में अपनी नीतियों को नरम बना सकते हैं. लेकिन रिपोर्ट ने आगाह किया कि सिर्फ मौद्रिक राहत से वृद्धि को तेज करना मुश्किल होगा.
आगे का रास्ता: वैश्विक सहयोग जरूरी
संयुक्त राष्ट्र के ली जुन्हुआ ने आपसी सहयोग पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कर्ज, असमानता और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलकर काम करना होगा. रिपोर्ट ने एशिया में आर्थिक प्रदर्शन को गरीबी घटाने में अहम बताया है.
हालांकि, चुनौतियां बरकरार हैं. 2025 की 2.8 फीसदी वृद्धि दर आशा और स्थिरता का संकेत देती है. सही नीतियों, निवेश और वैश्विक सहयोग से दुनिया की अर्थव्यवस्था बेहतर और उचित भविष्य की ओर बढ़ सकती है.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)