BREAKING: नेपाल में 'प्रचंड' की सरकार गिरी, पुष्प कमल दहल ने प्रधानमंत्री पद से दिया इस्तीफा
अविश्वास मत हारने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को 9 महीने की सत्ता से विदा होना पड़ा है. पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा.
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को बड़ा झटका लगा है. संसद में अविश्वास मत हारने के बाद उन्हें 19 महीने की सत्ता से विदा होना पड़ा है. पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा.
सीपीएन-यूएमएल के समर्थन वापस लेने के बाद प्रचंड के पास सीमित विकल्प थे. उन्हें या तो तुरंत पद छोड़ना था या एक महीने के अंदर अविश्वास मत का सामना करना था. शुक्रवार को संसद में अविश्वास मत हुआ, जिसमें प्रचंड हार गए.
यह पांचवीं बार था जब पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को संसद में अविश्वास मत का सामना करना पड़ा. इससे पहले, वे चार बार अविश्वास मत में सफल रहे थे. प्रचंड की सबसे बड़ी गठबंधन पार्टनर सीपीएन-यूएमएल ने 3 जुलाई को अपना समर्थन वापस ले लिया था. 25 दिसंबर, 2022 को प्रधानमंत्री बनने के बाद, प्रचंड लगातार अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे थे. और लगभग 19 महीनों के बाद उनकी सरकार गिर गई. 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (HoR) में 69 वर्षीय प्रचंड को 63 मत मिले. प्रस्ताव के खिलाफ 194 मत डाले गए. अविश्वास मत जीतने के लिए कम से कम 138 मतों की आवश्यकता थी.
केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाल की निचली सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता साझेदारी करने के लिए समझौता करने के बाद वर्तमान शासक गठबंधन से बाहर निकल गई. इस स्थिति में, प्रचंड की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) के केवल 32 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के 78 सीटें और नेपाली कांग्रेस के 89 सीटें हैं. नेका और सीपीएन-यूएमएल गठबंधन के अब 167 सीटों की ताकत है.
नेपाल की निचली सभा में, सरकार बनाने के लिए 138 सदस्यों की आवश्यकता होती है, जबकि एनसीपी और सीपीएन-यूएमएल गठबंधन के पास 167 सदस्यों की ताकत है, जो निचली सभा में बहुमत के आंकड़े से कहीं ज़्यादा है. इसके कारण ऐसी उम्मीदें हैं कि देउबा और ओली सत्ता में वापसी कर सकते हैं. एनसीपी और सीपीएन-यूएमएल के बीच समझौते के अनुसार, ओली और देउबा तीन साल के लिए बारी-बारी से प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे. नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पहले ही ओली को अगले प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन दिया है.